शान्तिस्वरूप त्रिपाठी
अभिनेत्री तृप्ति डिमरी 2017 में सनी देओल के साथ फिल्म ‘पोस्टर ब्वॉयज’ में पहली बार नजर आयी थीं। फिर वह अविनाश तिवारी के साथ फिल्म ‘लैला मजनूं’ में हीरोइन बनकर आयी। मगर फिल्म ने कोई कमाल नहीं किया। उसके बाद तृप्ति ने फिल्म ‘बुलबुल’ में एक रेप सीन को लेकर सुर्खियां बटोरी। उसके बाद नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘कला’ में नजर आयीं। इसके बाद संदीप वांगा रेड्डी निर्देशित फिल्म ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर के संग इंटीमेसी सीन देकर चर्चित हो गयी। अब वह चर्चा में हैं अपनी कल ही रिलीज हुई फिल्म ‘बैड न्यूज’ को लेकर, जिसमें वह सलोनी के किरदार में नजर आ रही हैं, जिसे पता ही नहीं है कि उसके पेट में किसका बच्चा पल रहा है और उसके पिता का नाम पता लगाने को परेशान है। हाल ही में तृप्ति डिमरी से एक मुलाकात के दौरान हुई बातचीत।
कहा जा रहा है कि ‘एनिमल’ के बाद आपके पास फिल्मों की कतार लग गयी?
हंसते हुए… मुझे नहीं पता कि कतार कहां लगी है! लेकिन कैरियर अच्छा जा रहा है। इस वर्ष मेरी कई फिल्में सिनेमाघरों में पहुंचेंगी। ‘बैड न्यूज’ इन दिनों सिनेमाघरों में है, इसके बाद ‘विक्की विद्या का वह वाला वीडियो’, ‘धाकड़ 2’ और ‘भूल भुलैया 3’ प्रमुख आने वाली फिल्में हैं।
‘एनिमल’ से पहले आपने ‘बुलबुल’ व ‘कला’ जैसी अच्छी विषय-वस्तु वाली फिल्में की। मगर इन फिल्मों से आपके कैरियर को वह बूस्ट
नहीं मिला, जो कि फिल्म ‘एनिमल’ से मिला। वजह?
वजह यह कि ‘बुलबुल’ हो या ‘कला’ – ये दोनों फिल्में एक खास वर्ग के दर्शकों के लिए थीं व ओटीटी पर आयी थीं। जबकि ‘एनिमल’ सीधे सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। सिनेमाघर के दर्शक अलग रहे। ऐसे में सिनेमा हॉल में इसे काफी लोगों ने देखा।
तो क्या आप मानती हैं कि ओटीटी पर स्टारडम नहीं होता?
मुझे तो ऐसा नहीं लगता। मुझे तो ओटीटी से काफी चर्चा मिली। लेकिन यह सच है कि ओटीटी का एक अलग बाजार व दर्शक वर्ग है। मेरे कैरियर की असली शुरुआत ही ओटीटी से हुई है। मेरी फिल्म ‘लैला मजनूं’ जब सिनेमाघर में रिलीज हुई थी, तो इसे सफलता नहीं मिली थी। लेकिन ‘जब मैंने फिल्म ‘बुलबुल’ की तो ‘बुलबुल’ के बाद ही मुझे ‘धर्मा प्रोडक्शन’ से फोन आया। मुझे ‘बैड न्यूज’ के लिए चुना ही इसलिए गया क्योंकि करण जौहर ने ‘बुलबुल’ और ‘कला’ दोनों फिल्में देखी थीं।
फिल्म ‘बैड न्यूज’ से जुड़ने के लिए आपको कौनसी बात ने इंस्पायर किया?
सबसे पहले फिल्म के निर्देशक आनंद तिवारी ने मुझे इस फिल्म की कहानी व मेरे किरदार को लेकर नरेशन दिया तो मुझे यह फिल्म काफी फनी लगी। इसका विषय भी मुझे पसंद आया। मैंने पहले इस तरह का सब्जेक्ट सुना ही नहीं था। इसलिए मैंने इस फिल्म में सलोनी का किरदार निभाने का निर्णय लिया। उसके बाद मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी और रिसर्च की, तो पता चला कि इस तरह के सत्रह केस संसार में हो चुके हैं। यह फिल्म सत्य घटनाक्रमों पर आधारित है लेकिन निर्देशक ने इस विषय को कॉमेडी स्पेस में डालने का प्रयास किया है। यह फिल्म करने की सबसे बड़ी वजह यह है कि इसमें मुझे कॉमेडी करने का अवसर मिला है।
आप अपने सलोनी के किरदार को किस तरह परिभाषित करेंगी?
सलोनी मध्यवर्गीय परिवार की कैरियर ओरिएंटेड लड़की है। जो बड़े सपने देखने की हिम्मत रखती है। वह अपने सपनों को पाने के लिए कड़ी मेहनत करती है। उसे खाना बनाने का बेहद शौक है। आपने यदि फिल्म देख ली है तो पता होगा कि फिल्म में वह मशहूर ‘शेफ’ है। उसकी सोच है कि ‘शेफ’ के रूप में उसका काम चल जाए। अपने लिए और अपने परिवार के लिए नाम कमाए।
फिल्म ‘बैड न्यूज’ में महिला के पेट में पल रहे बच्चे के पिता की जांच का मसला भी है?
दरअसल फिल्म में कई संदेश हैं। यह फिल्म सलोनी, आलेख व सुखीर इन तीन चरित्रों की यात्रा है। इन किरदारों के जरिये युवा पीढ़ी की सोच जाहिर की गई है। युवा जिंदगी में सब कुछ चाहते हैं- प्यार से लेकर कैरियर में तरक्की और हर जगह जीत ही जीत, फिल्म में उसी की बात की गयी है। युवा पीढ़ी रिश्तों में समझौते करने को नीची नजरों से देखती है, जो सही नहीं।
अब इंटीमेसी सीन के लिए सेट पर ‘इंटीमेसी कोआर्डिनेटर’ होने लगे हैं। क्या आपकी फिल्म में ऐसी व्यवस्था थी?
हमारे सेट पर कोई था ही नहीं। मैंने कभी भी किसी भी फिल्म के सेट पर इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की जरूरत ही महसूस नहीं की। इसकी वजह यह कि मेरी सोच अलग है। हमने इंटीमेसी सीन हो या ‘बुलबुल’ का रेप सीन, इन दृश्यों को अलग नजरिये से नहीं देखा। यही सोचा कि दूसरे दृश्यों की ही तरह इस दृश्य को भी अंजाम देना है। मैं हर दृश्य को सिर्फ एक चुनौतीपूर्ण दृश्य की तरह ही देखती हूं, फिर चाहे वह इमोशनल दृश्य हो या बलात्कार का अथवा इंटीमेसी या हम-बिस्तर होने का दृश्य हो। चित्र : लेखक