रमेश सरोए/हप्र
करनाल, 21 जुलाई
प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं धीरे-धीरे दम तोड़ रही हैं, जिसके चलते मरीजों के साथ उनके परिजन भी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में 4 सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टर न्यूरोसर्जन, गेस्ट्रोलिस्ट, यूरोलॉजी ओर कॉर्डियलॉजी की सेवाएं नदारद हैं। मेडिकल कॉलेज से रेफर होने वाले मरीजों में से 70 प्रतिशत मरीज सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टरों की कमी के कारण हो रहे है। अगर सरकार इन सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टरों की कमी को पूरा कर देती है तो मेडिकल कॉलेज से रेफर किए जाने वाले मरीजों की संख्या में भारी कमी होने की संभावना है। ये मरीज ऐसे होते हैं, जिनका इलाज मेडिकल कॉलेज में किया जा सकता हैं, फिर भी इतनी बड़ी संख्या में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। इसके पीछे बड़ी वजह ये कि मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टरों के ऑपिनियन नहीं मिल पाते। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर न चाहते हुए मरीजों को रेफर करने पर विवश हो जाते हैं।
सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टरों के ऑपियन न मिल पाने की वजह से स्थिति उस वक्त विकट हो जाती है, जब मरीजों के परिजनों को एकदम बोल दिया जाता है कि मरीज को हायर सेंटर में रेफर कर रहे हैं। मरीज के तीमारदार हैरान, परेशान हो जाते हैं। उन्हें पैसे सहित अन्य व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं। सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं होती, जिससे की वे प्राइवेट अस्पतालों में अपना बेहतर इलाज करवा सकें। साढ़े 5 सौ करोड़ से बने कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशिलिस्टी डॉक्टरों के पद होने के बाद एक भी डॉक्टर कार्यरत न होना परेशान करने वाला है। जिससे पेट, सिर, किडनी, हार्ट संबंधित बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।
‘डॉक्टरों की कमी को पूरा करने का प्रयास’
कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के डॉयरेक्टर डॉ़ एमके गर्ग ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में 4 सुपर स्पेशलिस्टी डॉक्टरों के पद हैं, लेकिन एक भी कार्यरत नहीं है। डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए प्रयास किए जा रहे है। इस वक्त अस्पताल में करीब 2 हजार से अधिक ओपीडी चल रही हैं।