एस अग्निहोत्री/हमारे प्रतिनिधि
चंडीगढ़, 22 जुलाई
गर्मियों में आंखों की एलर्जी में खुजली, लालिमा, पानी आना बच्चों और वयस्कों में एक आम आंख की समस्या है। जैसे ही बरसात का मौसम आता है, आर्द्रता बढ़ जाती है। इस मौसम में वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण प्रचलित होते हैं और इसका एक परिणाम आई फ्लू है। वायरस, बैक्टीरिया, एलर्जी और पर्यावरणीय कारक इस स्थिति का कारण बन सकते हैं। शहर के निजी अस्पताल के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में ट्राईसिटी में आई फ्लू के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि आई फ्लू होने पर खुद दवा नहीं लेनी चाहिए बल्कि तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आई फ्लू (EYE FLU) या कंजेक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो कभी आई फ्लू नहीं होगा। बदलते मौसम की वजह से इन दिनों आई फ्लू का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। आई फ्लू एक संक्रामक बीमारी है। यह एक दूसरे से फैलती है। बरसात के दौरान तापमान में ह्यूमिडिटी अधिक होने की वजह से लोगों को बैक्टीरियल इंफेक्शन वायरस के कारण आई फ्लू हो रहा है।
आई फ़्लू के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण कदम रोगी को अलग करना है। स्कूलों में, आंखों में फ्लू होने पर बच्चे को तुरंत घर वापस भेज देना अच्छा चलन है, ताकि यह अन्य बच्चों तक न फैले। परिवार के अन्य सदस्यों को रोगी द्वारा उपयोग की गई वस्तुओं या कपड़ों को नहीं छूना चाहिए। प्रभावित व्यक्ति को हाथों की अच्छी स्वच्छता अपनानी चाहिए, बार-बार हाथ धोना जरूरी है। सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्हें अपनी आंखों को नहीं छूना चाहिए, आंखों को रगड़ना नहीं चाहिए। रोगी को आंखों में पानी के छींटे नहीं मारने चाहिए। सुरक्षात्मक चश्मा उपयोगी है। आमतौर पर 5-7 दिनों में समाप्त हो जाता है। व्यक्ति को स्व-दवा से बचना चाहिए। असुविधा बढ़ने पर रोगी को नेत्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए और उसके अनुसार आवश्यक दवा लेनी चाहिए।
आई फ्लू की पहचान
आपकी आंखों में दुखन और चुभन शुरू होगी। आंखें लाल हो जाती है। इसमें पानी आना और जलन शुरू हो जाती है। आंखों के सफेद हिस्से में लाली आ चुकी है, तो संभव है कि आपको आई फ्लू हो चुका है। इसके लिए आप किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें।