यदि दंपति में से एक पार्टनर कई बार ज्यादा ही गुस्सा करता है, तो इसकी वजह उसकी बात सुनी न जाने का अहसास हो सकता है। इसलिए कम बोलो। बेहतर संबंधों के लिए ध्यान दो कि गुस्सा किस बात पर है, मन का बोझ हल्का होने दें। विचार-विमर्श और समाधान बाद में आ सकते हैं।
नम्रता नदीम
अपने गुस्से या भड़ास का निकाल देना किसी भी गहरे संबंध का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे बॉन्डिंग मज़बूत होती है, हमदर्दी में इज़ाफ़ा होता है और संबंधित व्यक्ति समानता के पटल पर आ जाता है, क्योंकि दबी हुई भावनाएं रिलीज़ होती हैं और उनकी स्वीकृति भी होती है। जब साथी गुस्सा होता है, तो वह आमतौर से स्वस्थ संबंध का संकेत होता है। ख़ुद को व्यक्त करके वह बता रहा होता है कि वह सुरक्षित महसूस कर रहा है और यह भी कि उसे प्यार किया जाता है। लेकिन अति स्वस्थ संबंधों में भी यह स्पष्ट नहीं होता है कि जिस व्यक्ति पर गुस्सा निकाला जा रहा है, वह क्या करे, उसकी प्रतिक्रिया क्या हो। इस सिलसिले में कुछ अनुभव यहां बताने के काबिल हैं।
अपनी भूमिका का अहसास
अगर आप पर गुस्सा निकाला जा रहा है तो सबसे पहले अपनी भूमिका को समझना ज़रूरी है। ऐसे में आप यह सोच सकती हैं कि आपके पति या प्रेमी आप पर इसलिए गुस्सा कर रहे हैं कि वह किसी बात पर चर्चा चाहते हैं, कुछ जानना चाहते हैं, किसी प्रश्न का उत्तर चाहते हैं या किसी समस्या का समाधान। नहीं, ऐसा कुछ नहीं चाहा जा रहा है। वह सिर्फ़ यह चाहते हैं कि आप उनकी बात सुनो। इसलिए बिना टोके उनकी बात को सुनो। उन्हें महसूस होगा कि उन्हें सुना गया और फिर बात को वहीं छोड़कर वह आगे बढ़ जायेंगे।
ध्यान से सुनने की जरूरत
अगर आपको लगता है कि आपका पार्टनर कुछ ज्यादा ही गुस्सा करता है, तो यह इस वजह से हो सकता है कि उन्हें यह अहसास हो कि उनकी बात को सुना नहीं जा रहा है। इसलिए कम करो, कम कहो। समस्या का समाधान करने की कोशिश मत करो। केवल मौजूद रहो और ध्यान दो कि गुस्सा किस बात पर है और किस तरह से है। इससे उनकी भावनात्मक स्थिति के बारे में बहुत कुछ मालूम हो जायेगा- कार्यस्थल पर चुनौतियां हैं, पैरेंट्स या संतान से कोई समस्या है, अपने लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं आदि भी अपने आपमें निश्चित रूप से समस्याएं हैं। इसलिए ध्यान से सुनो और आपको मालूम हो जायेगा कि वह किसी ऐसी बात को लेकर परेशान हैं जिसके बारे में वह सोचते थे, और आपने अनुमान किया था, कि वह ख़ुद ही हल कर लेंगे।
बोझ हल्का करने का अवसर
जिस समय आपका साथी अपना गुस्सा या भड़ास निकाल रहा हो तो उसे अपना गुस्सा निकालने का अवसर न समझें। उस वक्त उन्हें ही अपना बोझ हल्का करने दें। जब एक व्यक्ति को अपना गुस्सा निकालने की ज़रूरत हो तो उसे किसी किस्म का मुकाबला बनाने से जो सुरक्षित स्पेस महसूस हो रही थी, वह निर्णय वाली बन जायेगी। ऐसा पार्टनर न बनें जो यह सवाल करे- तुम इससे बेहतर क्यों नहीं कर सकते? यह विशेष रूप से क्रूर होगा जब व्यक्ति पहले से ही हर संभव प्रयास कर रहा हो। गुस्से को अपने ऊपर टिप्पणी के तौर पर न लें। गुस्सा निकालने के अनेक सत्र भयंकर लड़ाई में बदल जाते हैं क्योंकि जिस व्यक्ति को ख़ामोशी से सुनना चाहिए था, वह अपनी सफाई देने का प्रयास करने लगता है। पति-पत्नी अकसर ये गलतियां करते हैं। बेहतर तरीका यह कि जब पत्नी अपना गुस्सा निकालती है तो पति ख़ामोशी से सुनता है और जब पति गुस्से में भड़क जाता है तो वह ध्यानपूर्वक चुपचाप सुनती रहती है।
न सफाई, न फैसला
काम, बच्चों, घर व इन-लॉज़ की जिम्मेदारियों के बीच पति और पत्नी एक-दूसरे की सुनें तो रिश्ते बेहतर रहते हैं। एक दंपति की मिसाल यहां प्रासंगिक है – पति इस बात पर अपना गुस्सा निकाल रहे थे कि वे दोनों साथ कितना कम समय व्यतीत करते हैं। पत्नी तुरंत सफाई देने के मोड में आ गई। कोई अच्छा नतीजा नहीं निकला। दोनों को लगा कि वे एक-दूसरे के विरुद्ध फ़ैसला सुना रहे है। वे ठुकराया हुआ सा भी महसूस कर रहे थे। संबंध में इन्हें पेपर कट्स कहते हैं। इनसे भारी नुकसान नहीं होता है, लेकिन तब चिंता व अकेलेपन का अहसास होने लगता है। इसलिए उक्त मामले में पति-पत्नी तसल्ली से बैठे, बात की और संतुलन बनाने पर सहमत हुए।
भावनात्मक गुब्बार को निकालना भी जरूरी
ध्यान रहे कि आप एक ही टीम में हैं बल्कि आप ही टीम हैं। दरअसल, गुस्सा निकालना ऐसी समस्या नहीं है जिसमें मदद की ज़रूरत हो। सरल से शब्द ‘मैं अपना गुस्सा निकालना चाहता हूं’, जादू का काम करते हैं। ये शब्द बताते हैं कि अगले कुछ मिनट कठिन होने जा रहे हैं क्योंकि एक पार्टनर अपने सीने से बोझ उतारना चाहता है। परिवर्तन, गहन विचार-विमर्श और समस्या-समाधान बाद में आ सकते हैं। इस समय भावनात्मक बोझ उतारना जरूरी था। इसे अच्छी वेस्ट-मैनेजमेंट योजना समझें। बस इस मामले में रीसाइकिल को फिर से इस्तेमाल करने की कोशिश न की जाये। -इ.रि.सें.