नयी दिल्ली, 22 जुलाई (एजेंसी)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा (सर्वे) पेश की। इसमें जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 से 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। यह बीते वित्त वर्ष के 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर से कम है।
समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत तथा स्थिर स्थिति में है। अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू स्तर पर वृद्धि को बढ़ावा देने वाले तत्वों ने आर्थिक वृद्धि को सहारा दिया। समीक्षा में यह भी कहा गया है कि अल्पकालिक मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान अनुकूल है, लेकिन देश को दलहनों में लगातार कमी और परिणामस्वरूप मूल्य दबाव का सामना करना पड़ रहा है। समीक्षा में कृषि क्षेत्र में तत्काल सुधार की आवश्यकता बताई गई है। चेताया गया है कि संरचनात्मक मुद्दे देश की समग्र आर्थिक वृद्धि की राह में बाधा बन सकते हैं। समीक्षा में कहा गया है, ‘भारतीय कृषि संकट में नहीं है, लेकिन इसमें संरचनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है, क्योंकि आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन और जल संकट का खतरा मंडरा रहा है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण हमारी अर्थव्यवस्था की मौजूदा ताकत को रेखांकित करता है और हमारी सरकार द्वारा लाए गए विभिन्न सुधारों के परिणामों को भी प्रदर्शित करता है। वहीं, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अर्थव्यवस्था की ‘सब ठीक है’ वाली गुलाबी तस्वीर पेश करने की पूरी कोशिश की गई है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आर्थिक स्थिति निराशाजनक है।
सालाना 78.5 लाख नौकरियों की जरूरत
समीक्षा के अनुसार, गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है। कार्यबल में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटकर 2047 में 25 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2023 में 45.8 प्रतिशत थी।
व्यापार घाटा कम होने की उम्मीद
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं की वजह से घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलने और मुक्त व्यापार समझौतों से निर्यात में वृद्धि से देश का व्यापार घाटा कम होने की उम्मीद है।