समराला, 22 जुलाई (निस)
साहित्य सभा (रजि) समराला की मासिक बैठक स्थानीय सरकारी सीनियर सेकंडरी स्कूल (लड़के) में कहानीकार मुख्तियार सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में प्रसिद्ध चिंतक सुरिंदर शर्मा पटियाला से विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक की कार्यवाही की शुरुआत करते हुए कहानीकार यतिंदर कौर माहल द्वारा भारतीय साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और सभा के पूर्व चेयरमैन कहानीकार स्व. सुखजीत की कहानियों की शृंखला के तहत कहानी ‘सिंगल माल्ट सुरख नहीं होती’ पर कहानीकार बलविंदर ग्रेवाल, चिंतक सुरिंदर शर्मा और अन्य साथियों ने गहराई से चर्चा की और इस कहानी के हर पहलू को संजीदगी से छूते हुए इसे उच्च स्तर की कला कृति बताया।
इसके बाद उपस्थित साथियों की रचनाओं का दौर चला। कहानीकार रुपिंदर रुपाल कौलगढ़ की कहानी ‘मैं लाशें बनाता हूं’ ने सबका ध्यान खींचा। प्रवास पर आधारित कहानीकार मंदीप डडियाणा की कहानी ‘गालड़’ ने पंजाब के खुशहाल घरों में प्रवास के कारण हुई सूनेपन को बखूबी चित्रित किया। हरजिंदर गुपालो का गीत ‘मैं पिंड बोलदां’ जो पंजाब से बाहर रह रहे प्रवास की त्रासदी को पेश करता है, सभी के दिलों में उतर गया और बैठक का शिखर बन गया। प्रसिद्ध गज़लकार सुरजीत जीत की गज़ल चर्चित रही।
सामूहिक जंगल सिस्टम पर चोट करती जसवीर झज्ज की गज़ल ने सभी का ध्यान खींचा। अमरिंदर सोहल की गज़ल कीमती सुझावों के साथ प्रशंसा की पात्र बनी। ज्वाला सिंह थिंद के शे’रों ने महफिल में रंग जमा दिया। अनिल फतेहगढ़ जट्टां, प्रधान लेखक सभा रामपुर के गीत ‘मैं ना तेरी कठपुतली’ भी चर्चित रहे। संतोष सिंह कोटाला द्वारा गांव कोटाला के प्राचीन इतिहास से जुड़ा जानकारीपूर्ण ऐतिहासिक लेख पढ़कर हाजिरी लगाई। अंत में कहानीकार बलविंदर सिंह ग्रेवाल ने साहित्यकारों का बैठक में शामिल होने के लिए धन्यवाद किया।