हमारे शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा होना जरूरी है क्योंकि यह हड्डियों को मजबूत करने समेत कई शारीरिक कार्यप्रणालियां सुचारू करता है। विटामिन डी में डी2 और डी3 दोनों शामिल हैं। रोजाना सुबह धूप में बैठना और कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन विटामिन डी की आपूर्ति के लिए जरूरी है।
राजेंद्र कुमार शर्मा
बार-बार बीमार हो जाना या संक्रमण हो जाना, ज्यादा थकान महसूस करना, पीठ, मांसपेशियों या हड्डियों में दर्द होना ,ऑस्टियोपोरोसिस या फ्रैक्चर, रिकेट्स या सूखा रोग, मांसपेशियां कमजोर होना आदि कुछ ऐसे सामान्य लक्षण हैं जिनका कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। चिकित्सक के पास जाने पर, सभी चिकित्सक सामान्य स्वास्थ्य जांच के बाद हमें अक्सर अपने विटामिन डी3 और बी12 के स्तर की जांच करवाने की सलाह देते हैं। वजह, ये विटामिन हमारे शरीर की कई कार्यप्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। साइन्स जर्नल ‘नेचर’ की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2022 में भारत के लगभग 49 करोड़ लोग विटामिन-डी की कमी से ग्रस्त थे। सर्वे के मुताबिक, विटामिन डी की कमी से प्रभावित होने वाले लोगों की उम्र 25 साल और उससे कम है। आईसीएमआर के अनुसार, भारतीयों के लिए विटामिन डी की आवश्यकता उनकी उम्र के अनुसार होती है जैसे 1 से 50 वर्ष आयु तक 5 माइक्रोग्राम , 50 वर्ष से ऊपर 10 माइक्रोग्राम।
कमी का मुख्य कारण
विटामिन डी वसा घुलनशील होता है जिसका सीधा स्रोत सूर्य की रोशनी या किरणें होती हैं। विडंबना यह कि आजकल हम अपनी जीवन शैली के कारण प्राकृतिक तरीके से इसकी कमी को पूरा करने में असमर्थ हैं। इसीलिए विटामिन डी की कमी होना एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या बन गई है। ज्यादातर कार्यशील लोग अधिकांश समय सूर्य के प्रकाश और ताज़ी हवा से दूर एयर कंडीशनर कार्यालयों में व्यतीत करते हैं। शाम को जब घर के लिए निकलते हैं तब तक सूर्य अस्त हो चुका होता है ऐसे में विटामिन डी का प्राकृतिक रूप से निर्माण नहीं हो पाता है और शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाती है।
स्रोत है धूप यानी सूर्य का प्रकाश
अमेरिकन रिसर्च के अनुसार, दूध में कुछ मात्रा में विटामिन डी मिलता है लेकिन वह प्रतिदिन की जरूरत से कम होता है। इसलिए विटामिन डी को ‘सनशाइन विटामिन’ कहते हैं जिसकी पूर्ति एकमात्र सूर्य की रोशनी से हो सकती है। हमारी त्वचा का संपर्क जितना सूर्य की रोशनी से होगा उतनी ही कमी की पूर्ति होगी। डॉक्टरों की मानें तो रोज 20 से 25 मिनट या फिर एक सप्ताह में कम से कम 3-4 दिन धूप में बैठने से सिर्फ एक दिन की जरूरत पूरी होती है। ऐसा करना हमारे ब्रेन, नींद, स्किन और बालों के लिए भी फायदेमंद है। धूप में बैठने का सही समय प्रात: 8 से 11 बजे तक का माना गया है। ये वो समय होता है जब सूर्य किरणें सहन करने योग्य होती है। इसी तरह सर्दी में लगभग 1 से 2 घंटे की धूप में बैठना लाभदायक रहता है।
विटामिन डी के प्रकार
विटामिन डी दो प्रकार के विटामिनों से मिलकर बना शब्द है, जिसमें विटामिन डी2 और विटामिन डी3 दोनों होते हैं। शरीर को विटामिन डी2 और विटामिन डी3 दोनों की ही आवश्यकता होती है। विटामिन डी3 और विटामिन डी2 के गुण भिन्न-भिन्न होते हैं। विटामिन डी वसा घुलनशील होता है व डी3 पशुओं से मिलता है, जैसे- मछली, कोड लिवर ऑयल,फिश ऑयल, अंडे की जर्दी वहीं डी2 मशरूम और फोर्टिफाइड फूड्स से मिलता है।
सूर्य से विटामिन डी निर्माण की प्रक्रिया
विटामिन डी का प्रमुख स्रोत सूरज की किरणें हैं, जिसमें अल्ट्रावायलट बी (यूवीबी) होता है। वह त्वचा में वसा यौगिक के साथ संयोजन करके विटामिन डी3 का निर्माण करता है। इसी तरह की प्रक्रिया पौधों और मशरूम से होती है। यहां भी अल्ट्रावायलट किरणें पौधों में मौजूद तेल (वसा) के यौगिक के साथ मिलकर विटामिन डी2 बनाते हैं। शोध के अनुसार मेटाबॉलिज्म के दौरान हमारा लीवर विटामिन डी को कैल्सिफेडॉल में बदलता है। कैल्सिफेडॉल के रक्त में स्तर से पता चलता है कि शरीर में विटामिन डी की मात्रा कितनी है। हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम और विटामिन डी3 की जरूरत होती है और किडनी कैल्सीटेरॉल नाम का एक हार्मोन उत्पादित करती है जो हड्डियों को रक्त से सही मात्रा में कैल्शियम अवशोषित करने में सहायता करता है, इसलिए किडनी के सही तरह से काम न करने पर विटामिन डी3 अपना काम नहीं कर पाता है। जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।