रामकुमार तुसीर/निस
सफीदों, 23 जुलाई
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हूडा) ने वर्ष 2007 में सफीदों में अपनी आवासीय कॉलोनी के तीन सेक्टर विकसित करने के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी। यहां सेक्टर 7, 8 व 9 विकसित करने का प्रस्ताव था। इनमें सेक्टर 8 व 9 में तो विकास के आसार हैं। सेक्टर 8 में प्लॉटों के लिए पंजीकरण हो रहा है लेकिन सेक्टर 7 की स्थिति यह है कि यह असामाजिक तत्वों का ठिकाना बन गया है। हूडा ने इस सेक्टर में सड़कें तो बनाई हैं लेकिन प्लाॅटों की जमीन ऊबड़-खाबड़ है। इसमें पहले से निर्मित पोल्ट्री शेड आदि, जो हूडा ने जमीन के साथ अधिगृहीत किए थे, उनका स्ट्रक्चर विभागीय लापरवाही के चलते दशक भर पहले ही लोग उठाकर ले जाते रहे और आखिर नौबत यह है कि विभाग के खाते में जो अधिगृहीत भवन संपत्ति दर्ज है, उसके मुकाबले मौके पर बहुत कम संपत्ति बची है। इसलिए इसे नीलाम नहीं किया जा सका। विभाग की ओर से बताया गया कि रही सही ऐसी सम्पत्ति को नीलाम करने के लिए इसका एस्टीमेट तैयार होगा।
पारित प्रोजेक्ट के तहत इस सेक्टर में हूडा ने ग्रीनबेल्ट, क्लीनिक या वृद्धाश्रम तथा शॉपिंग सेंटर आदि बनाने थे। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों के लिए भी करीब 3.81 एकड़ क्षेत्र में प्लॉट निर्धारित थे। विभाग से बताया गया कि कुल 382 प्लाटों में से 8 वर्ष पूर्व इस सेक्टर में करीब 150 लोगों ने प्लॉट खरीदे लेकिन बाद में इस सेक्टर की हालत व इसकी लोकेशन अनुकूल न होने के कारण ज्यादातर लोगों ने प्लॉट सरेंडर कर दिए। अब इस सेक्टर में केवल 25 प्लॉट बिके बताए गए हैं। लोग आज भी इस सेक्टर में प्लाॅट खरीदने को तैयार नहीं हैं। इसका एक कारण तो यह है कि बरसों पहले इस सेक्टर के सड़क निर्माण ठेकेदार ने प्लाटों की जमीन की मिट्टी उठाकर सड़क में इस्तेमाल कर ली जिससे प्लाटों की जमीन काफी नीची पड़ गई। अब कोई प्लाट ले तो उसमें मिट्टी ही लगभग 10 से 12 फुट भरवानी पड़ेगी। दूसरा कारण यह है कि इस सेक्टर के साथ की आदर्श कॉलोनी से सेक्टर को अलग नहीं किया गया है और हूडा के प्लाॅट के भाव व इस कॉलोनी में जमीन के भाव में भारी अंतर है। अब इस सेक्टर की हालत यह है कि यहां के सुनसान खंडहर पड़े पोल्ट्री शेडों व एक अन्य भवन को असामाजिक तत्व अपना ठिकाना बनाते हैं। हूडा के जींद सम्पदा कार्यालय के कनिष्ठ अभियंता संदीप कुमार का कहना था कि वह 6 महीने पहले ही जींद आए हैं। स्टाफ कम है और वह सफ़ीदों में आज तक केवल दो बार ही आ सके हैं।