तीरथ सिंह खरबंदा
हे सखी, क्या तुमने सुना, सावन लगते ही आज नया बजट भी आ गया है। इधर सावन में रिमझिम की फुहारों से और उधर छूटों की फुहारों से मेरा मन मयूर नाच उठा है। एक साथ इतनी छूटों के बारे में सुनकर मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा है। तुम्हीं बताओ आज के समय में जब कोई चुनाव तक सामने न हो कोई भला इतनी छूट एक साथ देता है!
हे सखी, सोना सस्ता होने की खबर से मेरे पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं। थोड़ी ही देर में वे ऑफिस से आने वाले हैं। उनके आते ही मैं उन्हें यह खुशखबरी सुनाऊंगी।
बजट में एक साथ इतनी छूटों को लेकर मेरा मन दुविधा में पड़ गया है। उन्हें किस छूट के बारे में पहले और किसके बारे में बाद में बताऊं। हे सखी, मुझे डर है कि कहीं मारे खुशी के मैं किसी खास छूट के बारे उन्हें बताना ही न भूल जाऊं।
हे सखी, मैं सोचती हूं सबसे पहले उन्हें आयकर छूट के बारे में बताऊं। इस छूट के बारे में सुनकर वे खुशी से फूले न समाएंगे। सखी, यही वह छूट है जिससे हमारे सारे सपने एक साथ पूरे होने वाले हैं। फिर उनका मुंह मीठा करवाकर धीरे से सरप्राइज़ देते हुए कहूंगी कि देखो सोना इस बजट में हमारे बजट के अंदर आ गया है। मेरी फरमाइश को वे हमेशा यह कहकर टाल देते थे कि यह हमारे बजट के बाहर है।
हे सखी, फिर मैं बातों ही बातों में उनसे जिक्र करूंगी कि देखो मेरा मोबाइल कितना पुराना हो गया है। मेरी सारी सखियों के पास लेटेस्ट मॉडल के मोबाइल हैं। फिर हौले से जिक्र करूंगी कि इस बजट में नया मोबाइल कितना सस्ता हो गया है!
हे सखी, वे आते ही होंगे। उन्हें यह खबर जल्द से जल्द सुनाने को मेरा मन बहुत व्याकुल हो रहा है। इंतजार का एक-एक पल काटना मेरे लिए कितना कठिन हो गया है! मैं शब्दों में उसका वर्णन करने में स्वयं को असमर्थ महसूस करती हूं।
हे सखी, मैं तुम्हें एक जरूरी खबर देना तो भूल ही गई, इंपोर्टेड ज्वेलरी भी इस बजट में सस्ती हो गई है। रात्रि की वेला में जब हम विश्राम के लिए जाएंगे तब उन्हें यह खबर देकर उनसे नई फरमाइश करूंगी।
हे सखी, दरवाजे पर कोई आहट हुई है। लगता है वे आ गए हैं। अच्छा अब फोन रखती हूं। आज चाहकर भी तुमसे ज्यादा बातें नहीं कर सकती हूं। हम लोग यूरोप टूअर का प्रोग्राम बना रहे हैं। आज उसकी तैयारी के लिए बाजार भी जाना है।
सचमुच दरवाजे पर मुंह लटकाए वे ही खड़े थे। दरवाजे से अंदर आते ही बोले– हमें यूरोप टूअर का प्रोग्राम केंसिल करना पड़ेगा। बजट में हवाई यात्रा महंगी हो गई है, अब यह हमारे बजट से बाहर हो गई है। उसने इस दुखांत को विस्तार से सखी को इनबॉक्स में बताते हुए लिखा— हे सखी, मैं यह खबर सुनकर हक्का-बक्का रह गई हूं। मैं बजट की छूटों के बारे में उन्हें जो कुछ भी बताने वाली थी, मुझे ऐसा लगने लगा है जैसे मैं वह सब कुछ एक साथ भूल बैठी हूं, मेरे लिए अब इन छूटों का कोई अर्थ नहीं रह गया है।