डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव
वित्तीय वर्ष 2024-25 का आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने रक्षा बजट का कुल हिस्सा 6,21,940.85 करोड़ रुपये दिए जाने का प्रावधान किया है। यह धनराशि 2024-25 के कुल वित्त बजट का करीब 12.90 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मात्र 28,403.21 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई। यह बढ़ोतरी 4.78 प्रतिशत है जो कि काफी कम है क्योंकि रक्षा चुनौतियां ज्यादा हैं। इसके साथ ही सीमा पर चल रही सामरिक चुनौतियों का दीर्घकालिक समाधान निकालने के लिए सैन्य साजो-सामान के निर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए विशेष जोर दिया गया है।
रक्षा बजट में आवंटित धनराशि को चार भागों में विभक्त किया जाता है। इसमें नागरिक, राजस्व, पूंजीगत खर्च और पेंशन निर्धारित है। नागरिक बजट के हिस्से में 25,963 करोड़ रुपये दिए गए हैं जिसमें बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन, ट्रिब्यूनल सहित सड़क व अन्य विकास कार्य किए जाते हैं। रेवेन्यू बजट के लिए 2,82,772 करोड़ रुपये रखे गए हैं। रेवेन्यू बजट से तीनों सेनाओं का वेतन बांटा जाता है जो बजट का बड़ा हिस्सा होता है। इसके अलावा एक्स सर्विसमैन की हेल्थ स्कीम, मेंटिनेंस व रिपेयरिंग का खर्च भी इसी बजट से किया जाता है। इसलिए रेवेन्यू बजट का हिस्सा कुल रक्षा बजट का लगभग 45 प्रतिशत है। यह पिछले साल के मुकाबले 12,652 करोड़ रुपये ज्यादा है।
रक्षा बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 1,72,000 करोड़ रुपये अलग रखे हैं, जिनमें नये हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य साजो-सामान की खरीद शामिल है। इसमें पिछले साल के मुकाबले 5.7 प्रतिशत का इजाफा किया गया है। यह धनराशि कुल रक्षा बजट का 27.6 प्रतिशत है। इस धनराशि से एयरक्राफ्ट, एयरोइंजन उपकरण, भारी और मध्यम श्रेणी के सैन्य वाहन, नये आधुनिक हथियार तथा गोला-बारूद खरीदा जाएगा। यही नहीं, अन्य तकनीकी सैन्य उपकरणों की खरीद से सेनाओं को सुसज्जित किया जाएगा। इस साल सेना के लिए स्पेशल रेलवे वैगन खरीदे जाने की योजना है। वायु सेना के लिए आधुनिक लड़ाकू विमानों व नए अन्य उपकरणों के खरीदे जाने की संभावना है। इसी तरह नौसेना को मजबूती प्रदान करने के लिए नए नेवल डॉकयार्ड प्रोजेक्ट शुरू किए जाने की योजना है।
पेंशन के लिए बजट में 1,41,205 करोड़ रुपये रखे गए हैं। यह धनराशि कुल रक्षा बजट का 22.7 प्रतिशत है। इस मद में लगभग 3000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की है। इस बजट में तीनों सेनाओं के सेवानिवृत्त सैनिकों की पेंशन व अन्य मिलने वाले लाभ शामिल होते हैं। इस समय तीनों सेनाओं के सेवानिवृत्त सैनिकों की संख्या करीब 26 लाख है जिसमें सर्वाधिक जवान थलसेना के हैं। पिछले वर्ष की तुलना में भारत की रक्षा चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में सीमाओं पर चीनी सैन्य अतिक्रमण और रोबोट सेना की तैनाती के प्रयास इसके प्रमुख उदाहरण हैं। लद्दाख में चीन की चुनौती को देखते हुए करीब 50,000 सैनिकों की तैनाती की गयी है। इसके अलावा वहां टैंकों, विमानों एवं मिसाइलों की तैनाती कर दी गई, जिससे किसी भी युद्ध की स्थिति से निपटा जा सके। ऐसे में और अधिक रक्षा बजट की जरूरत थी।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान की तरफ से अघोषित युद्ध जारी है। समुद्र की तरफ से भी भारत को चुनौतियां मिल रही हैं। चीन की समुद्री क्षेत्र में बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए भारतीय नौसेना के सामने हिन्द महासागर से लेकर अरब सागर तक चुनौतियां बढ़ी हैं। जिससे निपटने के लिए नौसेना युद्ध समूहों के गठन और नौसेना की एयर विंग को मजबूत करना आवश्यक है। हिन्द महासागर में खतरे देखते हुए तथा पाक व चीन सीमा पर उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर तीनों सेनाओं के लिए आवंटित धनराशि कम ही कही जाएगी।
सीमा पर तनाव को देखते हुए सैन्य साजो-सामान की विशेष आवश्यकता थी। चीन सीमा के नजदीक आवागमन सुलभ बनाने हेतु सड़कों के विकास के लिए सीमा सड़क संगठन को 6500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसके अलावा स्टार्टअप, नवाचार और छोटी इकाइयों को तकनीकी मदद के लिए आईडेक्स योजना के तहत 518 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जिससे विकास कार्यों में मदद मिलेगी। रक्षा क्षेत्र में तकनीकी विकास के लिए भी अधिक धन की जरूरत थी। नवीनतम हथियारों से सेनाओं को लैस करना, सैन्य आधुनिकीकरण व नवीनतम युद्ध कला से सेनाओं को सुसज्जित करना हमारी प्राथमिकता हो चुकी है। वहीं साइबर, हाईटेक युद्ध पद्धति एवं नेटवर्क केन्द्रित युद्ध पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
हमें नये परिवेश को ध्यान में रख परम्परागत लड़ाई के साथ-साथ साइबर युद्धों की भी तैयारियां कर लेनी चाहिए। जो देश इसमें पीछे रह गए वे नुकसान भी उठा सकते हैं क्योंकि हम जिन हथियारों की तैयारी में लगे हैं भविष्य में शायद उनकी जरूरत कम ही पड़े और मिलिट्री ऑपरेशन का रुख नवीन युद्ध प्रणालियों की तरफ बढ़ जाए। रक्षा बजट में इन तैयारियों के लिए बजट तय करना चाहिए था।
यद्यपि हमारी सेनाएं इन युद्धों के लिए तैयार हैं लेकिन अलग से तैयारी करना और मजबूती प्रदान करेगा। सेनाओं के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में एक प्रमुख महत्वाकांक्षी योजना एकीकृत कमान की है, जो अभी पूरी नहीं हुई। वर्तमान 17 एकल सेवा इकाइयों को पांच थिएटर कमांड के तहत लाया जाना है जिससे भविष्य में होने वाले युद्धों से निपटने में एकीकृत यौद्धिक समन्वय स्थापित किया जा सके। वहीं हिमालयी युद्ध क्षेत्रों के लिए पर्वतीय डिवीजन बढ़ाना समय की मांग है।