सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर पर फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि किसानों तथा सरकार के बीच विश्वास की कमी है।
जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि एक ‘तटस्थ अंपायर’ की आवश्यकता है जो किसानों तथा सरकार के बीच विश्वास पैदा कर सके। पीठ में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां भी शामिल रहे। पीठ ने कहा, ‘आपको किसानों से बातचीत करने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे। अन्यथा वे दिल्ली क्यों आएंगे? आप यहां से मंत्रियों को भेज रहे हैं और उनके नेक इरादों के बावजूद विश्वास की कमी है।’ न्यायालय ने कहा, ‘एक सप्ताह के अंदर उचित निर्देश दिए जाएं। तब तक शंभू बॉर्डर पर स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए सभी पक्षकारों को प्रदर्शन स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने दें।’ शीर्ष अदालत हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही है। हाईकोर्ट ने उसे उसे अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर एक सप्ताह के भीतर अवरोधक हटाने के लिए कहा था, जहां किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।
निराशा हुई, पर संघर्ष जारी रहेगा : मनजीत सिंह
भारतीय किसान मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय प्रधान मनजीत सिंह घुमाणा ने कहा सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किसान जत्थेबंदियों को निराशा जरूर हुई है, लेकिन मांगें मानी जाने तक संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को पूरे देश में ट्रैक्टर मार्च निकाले जाएंगे। सरकारी कानूनों की प्रतियां भी जलाई जाएंगी।
बातचीत कमेटी के लिए नाम सुझाएं पंजाब, हरियाणा
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनरत किसानों की मांगों का समाधान तलाशने के लिए उनसे बातचीत करने के वास्ते प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक स्वतंत्र समिति गठित हो। साथ ही यह भी कहा कि किसान जेसीबी लेकर प्रदर्शन नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि बातचीत के वास्ते बनने वाली कमेटी के संबंध में पंजाब और हरियाणा नाम सुझा सकते हैं। बातचीत के बाद बैरिकेड हटाने पर चरणबद्ध तरीके से काम होगा।
राहुल गांधी ने किसान नेताओं को उनके हक दिलाने का भरोसा दिया
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने किसान नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद बुधवार को कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी किसानों का हक है और यह सुनिश्चित करने के लिए ‘इंडिया’ के घटक दल सरकार पर दबाव बनाएंगे। किसान नेताओं ने राहुल गांधी के संसद भवन स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। मुलाकात के बाद राहुल ने कहा, ‘कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की बात कही थी। हमने आकलन किया है कि ये बिल्कुल किया जा सकता है।’ इस बैठक में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, कांग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा, गुरजीत सिंह औजला, धर्मवीर गांधी, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह हुड्डा और जय प्रकाश भी मौजूद थे। इस प्रतिनिधिमंडल में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के 12 किसान नेता शामिल थे। सूत्रों ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी को अपने-अपने राज्यों में किसानों के सामने आने वाली समस्याओं से अवगत कराया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।