चंडीगढ़, 24 जुलाई (हप्र)
शंभू बार्डर पर किसानों को रोकने के लिए हरियाणा के पुलिस अधिकारियों द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए उनको बहादुरी के पुरस्कारों की सिफ़ारिश पर कड़ा ऐतराज़ जताते हुए पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने प्रधानमंत्री को किसानों को शंभू बॉर्डर पर आगे बढ़ने से रोकने में शामिल पुलिस अधिकारियों के लिए बहादुरी के पुरस्कारों की सिफ़ारिश संबंधी फ़ैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में संधवां ने कहा कि किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए वे हरियाणा के डीजीपी द्वारा हाल ही में शंभू बॉर्डर पर किसानों के मार्च को रोकने में शामिल छह पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को बहादुरी के पुरस्कार देने की सिफ़ारिश पर चिंतित हैं और इस फ़ैसले की सख़्त निंदा करते हैं।
उन्होंने कहा कि फ़िलहाल वे पुलिस फोर्स की बहादुरी और समर्पण का दिल से सम्मान करते हैं और यह मानते हैं कि उनके द्वारा निभाई गई शानदार सेवाओं के लिए मान-सम्मान देना बनता है। पंजाब विधानसभा स्पीकर ने अपने पत्र में लिखा कि कोई भी फ़ैसला लेने से पहले शंभू बॉर्डर पर बने हालातों को ध्यान में रखा जाए।
प्रधानमंत्री को हरियाणा सरकार के इस दुर्भाग्यपूर्ण फ़ैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए स. संधवां ने कहा कि भारत की सर्वोच्च संवैधानिक अथॉरिटी होने के नाते वे इस सिफारिश पर फिर विचार करने की अपील करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे हालातों में सभी के लिए लोकतंत्र, न्याय और मानवीय सिद्धांतों को बरकरार रखना बहुत ज़रूरी है। देश के किसानों द्वारा दिए जाते रहे योगदान के लिए वह मान-सम्मान के हकदार है, इसके लिए उनके साथ किसी भी तरह की उपेक्षा वाला बर्ताव न हो और न ही किसी तरह का अन्याय किया जाए। उन्होंने कहा कि यह हम सभी का फ़र्ज़ बनता है कि शहीद शुभकरन और अन्य किसान-मज़दूरों, जिनको इस प्रदर्शन दौरान संताप बर्दाश करना पड़ा, के लिए न्याय को यकीनी बनाएं।