दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 24 जुलाई
पंचायती राज संस्थाओं – जिला परिषद, ब्लाक समिति व ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों के बाद अब राज्य की नायब सरकार निकायों – नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के जनप्रतिनिधियों के लिए तोहफों का पिटारा खोलने वाली है। हरियाणा के सभी शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन बृहस्पतिवार को हिसार स्थित गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी में होगा।
यह पहला मौका होगा जब चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन के साथ सभी वार्ड पार्षदों को भी सरकार ने आमंत्रित किया है। शहरी स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा की मेजबानी में होने वाले इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी मुख्यातिथि होंगे। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता के अलावा कई विधायक और अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहेंगे। इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री निकाय प्रतिनिधियों के लिए कई बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं।
इससे पहले मुख्यमंत्री कुरुक्षेत्र और पंचकूला में पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के सम्मेलन में सरपंचों को 21 लाख रुपये तक के विकास कार्य करवाए जाने की इजाजत दे चुके हैं। इतना ही नहीं, जिला परिषद चेयरमैन और वाइस-चेयरमैन तथा ब्लाक समिति अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा सरपंचों की पेंशन में बढ़ोतरी कर चुके हैं। माना जा रहा है कि सरकार निकायों के प्रतिनिधियों के मासिक मानदेय में बढ़ोतरी कर सकती है।
पंचायत प्रतिनिधियों की तर्ज पर नगरपालिका व नगर परिषद के चेयरमैन को सरकारी कार्यों के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करने पर 16 रुपये प्रति किमी के हिसाब से देने का फैसला लिया जा चुका है। नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के वाइस-चेयरमैन भी भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली व निकाय मंत्री सुभाष सुधा से मुलाकात करके यह मांग उठा चुके हैं। वाइस-चेयरमैन एसोसिएशन की मुलाकात बिजली मंत्री चौ. रणजीत सिंह के माध्यम से हुई थी।
नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के उपाध्यक्ष की ओर से सरकार के सामने यह भी मांग उठाई गई है कि उन्हें सरपंचों की तर्ज पर 11-11 लाख रुपये तक के विकास कार्य बिना ई-टेंडरिंग के करवाने की छूट दी जाए।
हालांकि सरपंचों को 21 लाख तक के कार्य करवाने की छूट है। सरकार की ओर से आने वाली सूचना निकायों के चेयरमैन तक ही सीमति रखी जाती है। वाइस-चेयरमैन को इसके बारे में नहीं बताया जाता। हालांकि लगभग ढाई माह पूर्व निकाय विभाग की ओर से इस संदर्भ में सर्कुलर भी जारी किया जा चुका है। इसी तरह से निकायों की हर माह होने वाली रिव्यू मीटिंग में भी उपाध्यक्ष को आमंत्रित नहीं किया जाता।
डायरेक्ट चुनाव नहीं चाहते पार्षद
वहीं दूसरी ओर, वार्ड पार्षद एसोसिएशन की ओर से भी मुख्यमंत्री को मांग-पत्र सौंपा हुआ है। उनकी सबसे बड़ी मांग नगर पालिका, नगर परिषद व नगर निगम में अध्यक्ष व मेयर के डायरेक्ट चुनाव को बंद करने की है। उनका कहना है कि सीधे चुनाव के बाद निकायों के अध्यक्ष और निगमों के मेयर मनमानी करते हैं। पार्षदों द्वारा अगर मेयर और अध्यक्ष को चुना जाएगा तो सभी वार्डों में समान विकास हो सकेगा।