अरुण नैथानी
इस साल के अंत में दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र संयुक्त राज्य अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में दावेदारी से लगता है कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की किस्मत चमक सकती है। अब तक राष्ट्रपति पद के लिये डेमोक्रेट प्रत्याशी के रूप में मजबूत दावेदारी कर रहे जो बाइडेन ने इस चुनावी दौड़ से अपने को अलग कर लिया है। बाइडेन ने यह कदम बढ़ती उम्र के चलते उन पर रेस से बाहर होने के लिये बढ़ रहे दबाव के बीच उठाया। रिपब्लिकन प्रत्याशी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से टीवी बहस में पिछड़ने के बाद लगता था कि उम्रदराज बाइडेन के मुकाबले ट्रंप सशक्त दावेदार हैं, लेकिन कमला हैरिस के डेमोक्रेटिक प्रत्याशी के रूप में सामने आने से तस्वीर बदल गई है। अब ट्रंप बाइडेन की जगह सबसे ज्यादा उम्रदराज प्रत्याशी बन गए हैं।
बहरहाल, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। जिससे अब यह चुनाव दिलचस्प हो चला है। अमेरिकी इतिहास में कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के लिये पहली अश्वेत महिला दावेदार हैं। डेमोक्रेट्स के लिये यह एक ऐसा जोखिम जो उन्हें उठाना पड़ेगा। दरअसल, ट्रंप अमेरिका में श्वेतवाद के प्रबल समर्थक हैं। ऐसा ही जोखिम बाइडेन ने कमला को उपराष्ट्रपति पद के लिये चुनकर उठाया था। बहरहाल, अमेरिका में धीरे-धीरे डेमोक्रेट कमला के पक्ष में खुलकर सामने आने लगे हैं। बहरहाल, कमला की दावेदारी पर अगले महीने शिकागो में होने वाले डेमोक्रेट्स के राष्ट्रीय सम्मेलन में अंतिम मोहर लगेगी। कमला के लिए धनात्मक पक्ष यह है कि वे बाइडेन के बाद दूसरे नंबर के संवैधानिक पद पर विराजमान हैं। जाहिर है कि डेमोक्रेट्स एक महिला व एक अश्वेत प्रत्याशी की दावेदारी को शायद ही नकार सकें। हालांकि, उपराष्ट्रपति कार्यकाल की कुछ नाकामियों का खमियाजा भी कमला को भुगतना होगा। खासकर अवैध प्रवासियों वाले मुद्दे पर उनकी आलोचना हुई है। हालांकि, गर्भपात के अधिकारों के मुद्दे पर उनकी कामयाबी रही है। बहरहाल, अब कमला की दावेदारी से ट्रंप के लिये चुनौतियां बढ़ गई हैं। हालांकि, अभी कमला की दावेदारी को महत्वाकांक्षी डेमोक्रेट्स की चुनौती मिल सकती है। फिलहाल, कमला हैरिस के आने से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव खासा दिलचस्प हो गया है। रिपब्लिकन को डेमोक्रेट्स के विरोध के लिये नये मुद्दे गढ़ने पड़ेंगे।
वहीं दूसरी ओर भारत में कमला हैरिस की राष्ट्रपति पद की दावेदारी सामने आने से खासा उत्साह है। दरअसल, भारतीय मूल की मां और जमैका मूल के पिता डॉनल्ड हैरिस की बड़ी संतान कमला को भारतवंशी की तरह देखा जाता है। हालांकि, कहना कठिन है कि उनका भारत व भारतीय संस्कारों से लगाव कितना भावनात्मक और कितना राजनीतिक है। अमेरिका में भारतीयों का एक वर्ग मानता है कि वे भारतीयों के बजाय अफ्रीकी समुदाय के अश्वेतों के मुद्दों पर अधिक सक्रिय रही हैं। हालांकि, वह अपनी भारतीय मूल की पहचान का जिक्र भारतीयों के बीच बखूबी करती रही हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में भी वे भारतवंशियों को लुभाने के लिये अपने अतीत व तमिलनाडु में अपनी ननिहाल से जुड़े अनुभवों का जिक्र करती रही हैं। निस्संदेह, कमला एक बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी राजनेता हैं। यही वजह है कि उपराष्ट्रपति पद के लिये कमला हैरिस के चयन के समय बाइडेन ने कहा था कि मैं देश के लिये नया नेतृत्व तैयार कर रहा हूं। लगता है आज उनके राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनने से वह घड़ी आ गई है।
उल्लेखनीय है कि चेन्नई में जन्मी उनकी मां श्यामला गोपालन ऐसे वक्त पर सात समुंदर पार अमेरिका जाने का साहस जुटा सकी थी, जब अकेली लड़की को विदेश पढ़ाने की अनुमति देना बेहद मुश्किल माना जाता था। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद वह वर्ष 1958 में न्यूट्रीशियन और एंडोक्रोनोलाॅजी में पीएचडी करने अमेरिका गई थीं। बाद में ब्रेस्ट कैंसर के क्षेत्र में शोधार्थी बनीं। कालांतर में बर्कले में मानवाधिकारों के लिये संघर्ष करते हुए श्यामला डॉनल्ड हैरिस के संपर्क में आईं और उनसे विवाह किया। बाद में हैरिस से तलाक होने के बाद श्यामला ने भारतीय संस्कारों के साथ कमला व उनकी बहन माया की परवरिश की।
आज भले ही कमला अमेरिका में प्रतिष्ठित अश्वेत नेता हों, लेकिन उन्होंने भारत से अपने जुड़ाव को कभी नकारा नहीं। कैलिफोर्निया के ऑकलैंड में जन्मी कमला ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। फिर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री लेकर वकालत शुरू की। वर्ष 2014 में यहूदी वकील डगलस एम्पहॉप से यहूदी व भारतीय परंपराओं से विवाह रचाया। वैसे उनकी छवि अफ्रीकी अमेरिकी राजनेता के रूप में बनी है। एक वजह यह भी है कि बाइडेन ने अमेरिका में भारतीय व अफ्रीकी मूल के निर्णायक वोटों के मद्देनजर कमला की राष्ट्रपति पद की दावेदारी का समर्थन किया है। आज अमेरिका में कमला हैरिस की छवि एक उदार, आधुनिक मूल्यों की पक्षधर तथा मानवाधिकारों के लिये संघर्ष करने वाली महिला के रूप में बनी है। निस्संदेह, कमला हैरिस एक मुखर वक्ता और करिश्माई बहस करने वाली राजनेता हैं। जिसे उनके वर्ष 2016 में सीनेटर बनने, कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल व मौजूदा उपराष्ट्रपति की भूमिका ने समृद्ध किया है। हालांकि, अमेरिकी में बसे चार मिलियन अमेरिकी भारतवंशियों में से अधिकांश उनके राष्ट्रपति बनने से भारतीय रुतबा बढ़ने की बात कह रहे हैं, लेकिन कुछ का मानना है कि कश्मीर आदि मुद्दों पर भारत के प्रति उनका रुझान बहुत सकारात्मक नहीं रहा है।