अजय मल्होत्रा/ हप्र
भिवानी, 25 जुलाई
केंद्रीय बजट में जिस प्रकार से खेती में सुधार और खासतौर पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 1.50 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं उससे देशभर में प्राकृतिक खेती के अग्रदूत गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा छेड़ी गई प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की मुहिम एक आंदोलन का रूप प्राप्त कर सकती है। सरकार द्वारा पहली बार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का संकल्प बजट में दर्शाया गया है।
आचार्य देवव्रत ने 12 वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्र के गुरुकुल मेें 200 एकड़ धरती में प्राकृतिक खेती का मॉडल स्थापित किया था। उन्होंने अपनी इस मुहिम को केवल हिमाचल व हरियाणा तक सीमित नहीं रखा बल्कि उन्होंने गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों के लाखों किसानों को प्राकृतिक खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
शीघ्र ही दिखेंगे सुखद परिणाम : हरीओम
प्राकृतिक खेती के लिए देशभर में कार्य करने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ. हरीओम का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा जिस प्रकार से प्राकृतिक खेती के प्रति रुचि दिखाई गई है उसके शीघ्र ही सुखद परिणाम दिखाई देंगे। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती किसान, जलवायु और पृथ्वी सभी के लिए जरूरी है। 1965 में देश में हरित क्रांति का आगाज हुआ और सत्तर के दशक में देश अनाज के मामले में आत्मनिर्भर हुआ। देश के खाद्यान्न भंडार तो भरे गए लेकिन प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हुआ जिसका परिणाम यह हुआ कि जमीन का जैविक कार्बन जोकि हरित क्रांति से पहले 1.0 के स्तर पर था आज वह देश के उपजाऊ क्षेत्रों में घटकर 0.3 व 0.40 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। यही स्थिति भूमिगत जलस्तर और दूसरे प्राकृतिक संसाधनों की है। ग्लोबल वार्मिंग का स्तर अत्यधिक खतरनाक स्थिति में आने वाला है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्राकृतिक खेती की ओर दिखाए गए रुझान से इस क्षेत्र में नई क्रांति का सूत्रपात होगा।
आचार्य देवव्रत ने जताया आभार
केंद्रीय बजट 2024-25 में कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता और उसमें भी, प्राकृतिक कृषि को उच्च प्राथमिकता देने पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया है। आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक कृषि को उच्च प्राथमिकता देकर यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के उज्जवल भविष्य के लिए पर्यावरण, प्रकृति और समग्र मानव जाति की चिंता की है।