नयी दिल्ली, 26 जुलाई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश द्वारा जारी निर्देशों पर रोक लगाते हुए 22 जुलाई के अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखने का निर्देश दिया, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित भोजनालयों को मालिकों, कर्मचारियों के नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था। उत्तराखंड एवं यूपी की ओर से पेश अधिवक्ताओं की कानूनी जिरह पर पीठ ने कहा कि उसने किसी को भी मालिकों के नाम और अन्य विवरण स्वेच्छा से प्रदर्शित करने से नहीं रोका है तथा उसकी रोक केवल नामों के जबरन प्रकटीकरण के खिलाफ है।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि वह 22 जुलाई के आदेश पर कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं करेगी, क्योंकि ‘जो कुछ कहा जाना था, वह कह दिया है। हम किसी को नाम उजागर करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।’ पीठ ने मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों से उनके संबंधित निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त के लिए तय की। न्यायालय ने 22 जुलाई को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा जारी निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
अपने हलफनामे में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘संबंधित निर्देशों के पीछे का विचार कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखना है। ताकि वे गलती से भी अपनी आस्थाओं के विरुद्ध न जाएं। इसका उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।’ राज्य सरकार ने कहा कि 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जैन महोत्सव के दौरान नौ दिनों के लिए गुजरात में बूचड़खानों को पूरी तरह बंद रखने का आदेश बरकरार रखा था। याचिका दायर करने वालों में एनजीओ ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ के अलावा तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और स्तंभकार आकार पटेल शामिल हैं। कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हुई और छह अगस्त को समाप्त होगी।