आत्मनिर्भर बने भारत
हाल ही के माइक्रोसॉफ़्ट के संकट से चीन अछूता रहा। वहां किसी किस्म की कोई गड़बड़ी नहीं हुई। वहां कंप्यूटर का उपयोग करने वालों को किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। इसका कारण रहा कि वहां साइबर सिक्योरिटी फ़र्म क्राउडस्ट्राइक की बजाय देश में ही निर्मित कंप्यूटर सुरक्षा तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। चीन के बाज़ार में अलीबाबा, टेंसेंट आदि जैसी घरेलू तकनीकी कंपनियों का दबदबा है। भारत के संदर्भ में देखा जाए तो इस तकनीक पर पश्चिम की कुछ बड़ी टेक कंपनियों का वर्चस्व है जिसका लाभ उठाकर ये कंपनियां अपनी मनचाही शर्तें थोपती हैं। अतः भारत को भी अपनी स्वयं की तकनीक विकसित कर आत्मनिर्भर बनना चाहिए।
विमलेश पगारिया, बदनावर, म.प्र.
सहभागिता का सुशासन
दस जून का ज्योति मल्होत्रा का लेख ‘दोस्त करीब रहें तो दुश्मन और भी नजदीक’ में सही लिखा है कि दुश्मन को ज्यादा पास रखकर ही लाभ होता है। नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार शपथ लेकर एक रिकॉर्ड बनाया है। लेकिन इस बार पूरे तालमेल व गहरे विचार-विमर्श से ही ठोस निर्णय लेने होंगे ताकि सहयोगी भी नाराज न हों व विपक्ष को भी उंगली उठाने का मौका न मिले। वैसे प्रधानमंत्री मोदी को सरकार चलाने का पुराना अनुभव है फिर भी सहयोग तो हर पार्टी का जरूरी है।
मुकेश विग, सोलन, हि.प्र.
दवाइयों पर कर कम हो
सरकार ने अपने बजट में 3-7 लाख आय वालों पर टैक्स दायरे में लाकर मध्यम वर्ग की मुश्किल बढ़ा दी है। कैंसर के साथ और दवाइयों की कीमतें भी कम करनी चाहिए थी। सोलर पैनल के सस्ते होने से लोगों का रुझान इस तरफ बढ़ेगा और बिजली की बचत और पर्यावरण सुरक्षित रखने में मददगार साबित होगा। हवाई सफर सस्ता होना चाहिए था। जिससे लोगों का न केवल समय बचता बल्कि आने-जाने में सुविधा भी होती।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली