जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 26 जुलाई
मानसून के सीजन में जहां देश के कई क्षेत्रों में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात हो गये हैं, वहीं पिछले एक माह से बारिश की एक बूंद न टपकने से जींद में अब सूखे जैसे हालात बन गये हैं। एक- तिहाई क्षेत्र धान की रोपाई से वंचित रह गया है। जो किसान खेतों में धान की रोपाई कर चुके हैं, उनमें से कुछ ने धान की फसल में ट्रैक्टर चलाना शुरू कर दिया है। जींद में इस मानसून की पहली और आखिरी बारिश 26 जून को हुई थी, तब 40 एमएम बारिश रिकार्ड की गई थी। उसके बाद जींद में बारिश नहीं हुई है। बादल आते हैं और लोगों को दगा देकर चले जाते हैं।
जींद में डेढ़ लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। इस साल अब तक एक लाख हेक्टेयर जमीन में धान की रोपाई हो पाई है। बारिश नहीं होने के कारण धान का रकबा खाली पड़ा है। किसानों को अब भी बारिश का इंतजार है। बारिश के बाद ही अपने खेतों में धान की रोपाई कर पाएंगे। जींद के ज्यादातर गांवों में भूमिगत जल सिंचाई के अनुकूल नहीं है। केवल हांसी ब्रांच नहर, सुंदर ब्रांच नहर, भिवानी ब्रांच नहर और भाखड़ा नहर के आसपास के क्षेत्र में ही भूमिगत जल सिंचाई के अनुकूल है। बाकी क्षेत्रों में जमीन के नीचे का पानी खारा है, दूसरे पानी गर्म होता है। ऐसे पानी से इस तरह के मौसम में धान की फसल को सूखने से बचाना मुश्किल हो जाता है। दिन के समय तेज धूप और गर्मी से धान के खेतों में लगाया गया पानी उबल जाता है। इससे धान की फसल जल रही है।
7 एकड़ में धान की फसल पर चलाया ट्रैक्टर
इस बार सूखे जैसे हालात ने धान उत्पादक किसानों की हालत खराब कर दी है। भंबेवा गांव के किसान काला ने अपने खेतों में 7 एकड़ में रोपी धान की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर उसे नष्ट कर दिया। धान की फसल के लिए वह पानी का इंतजाम नहीं कर पाया। उसका कहना है कि बारिश हुई तो वह धान की रोपाई दोबारा करेगा। इसी तरह जींद के लुदाना, निडाना समेत कई गांवों में धान के खेतों के सूख जाने से खेतों में अब दरार आ गई हैं। किसान धान की फसल की पानी की जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे। इन गांवों में धान की खेती का दारोमदार बारिश पर रहता है, और इस बार बारिश नहीं होने से किसान बेहद परेशान हैं।
गन्ने की फसल पर भी पड़ रहा बुरा असर
जींद में इस बार गन्ने की फसल पर भी बुरा असर पड़ रहा है। जिले में लगभग 30 हजार एकड़ में गन्ने की खेती की गई है। मानसून की बारिश में ही गन्ने की फसल की सबसे ज्यादा ग्रोथ होती है, और इस बार मानसून की बारिश नहीं होने से गन्ने की फसल की ग्रोथ भी रुक गई है।
बारिश के लिए टोने-टोटके का सहारा
सूखे जैसे हालात से बेहद परेशान किसान और दूसरे लोग इंद्र देवता को खुश करने के लिए कहीं सरसों के तेल और आटे से गुलगुले बनाकर लोगों में बांट रहे हैं, तो कहीं यज्ञ करवा रहे हैं, लेकिन बारिश है कि आने का नाम नहीं ले रही।
‘फसलों पर पड़ रहा बुरा असर’
कृषि विज्ञान केंद्र के रिटायर्ड प्रभारी कृषि वैज्ञानिक डॉ़ यशपाल मलिक के अनुसार जींद में इस बार सूखे जैसे हालात हैं। धान और गन्ने की फसल पर इसका सबसे बुरा असर पड़ रहा है। इस समय धान और गन्ने की फसल को बारिश की सख्त जरूरत है। कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो धान की फसल को बचाना मुश्किल हो जाएगा। गन्ने की फसल की पैदावार बुरी तरह से प्रभावित होगी।