शिमला, 27 जुलाई (हप्र)
हिमाचल में मिले यूरेनियम भंडारों का मुद्दा संसद में गूंजा। राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने संसद में प्रदेश में मिले यूरेनियम के उपचार हेतु संयंत्र स्थापित करने का मुद्दा उठाया। डॉ. सिकंदर कुमार ने प्रदेश के ऊना, हमीरपुर व अन्य जिलों में मिले यूरेनियम की अनुमानित मात्रा तथा केंद्र सरकार द्वारा इसके उपाचर हेतु संयंत्र स्थापित करने बारे जानकारी प्रधानमंत्री से मांगी।
डॉ. सिकंदर कुमार द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग की एक संघटक इकाई परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (एएमडी) ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश में प्रारंभिक निरीक्षण किया है जिससे हमीरपुर जिले के मसनवल में स्तह यूरेनियम प्राप्ति अभिनिर्धारण हुआ है। उन्होंने बताया कि एएमडी ने ऊना जिले में राजपुरा , शिमला जिले में कशा कलाडी और मंडी जिले में तलेली में 3 यूरेनियम निक्षेप स्थापित किए हैं और इनसे अभी तक कुल 784 टन यूरेनियम ऑक्साइड स्त्रोत का अनुमान लगाया गया है।
डॉ सिकंदर कुमार ने हिमाचल प्रदेश में एनएफएसएम के अंतर्गत खाद्य फसलों के उत्पादन का विषय उठाते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री से पूछा कि केन्द्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत खाद्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?प्रश्नों का उश्रर देते हुए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह ने बताया कि भारत सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने हेतु राज्यों सरकारों के प्रयासों से सहायता प्रदान कर रही है। उन्होनें बताया एनएफएसएम कार्यक्रम के तहत हिमाचल को 2019-20 में 11.44 करोड़ , 2020-21 में 11.20 करोड़ , 2021-22 में 5.81 करोड़ , 2022-23 में 2.99 करोड़ तथा 2023-24 में 7.08 करोड़ की केन्द्रीय सहायता प्रदान की गई।
प्रदेश में 11 जगहों पर यूरेनियम के भंडार
हिमाचल प्रदेश में करीब 11 जगहों पर यूरेनियम के भंडार होने की संभावना है। इनमें से मंडी, हमीरपुर व ऊना के कुछ भंडारों का तो पता लगाया गया है। रामपुर के नजदीक नोगली तथा काशा पाट में भी यूरेनियम होने का अनुमान है। यहां मिले यूरेनियम को हैवी मैटल कहा जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसका इस्तेमाल परमाणु बम बनाने में किया जा सकता है।