रेवाड़ी, 27 जुलाई (हप्र)
मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया को-आॅर्डिनेटर सुदेश कटारिया ने दलितों से सवाल किया कि उन्हें अत्याचार वाला शासन चाहिए या सुशासन, पर्ची-खर्ची पर नौकरी चाहिए या मैरिट पर, दबंगों की दबंगई चाहिए या उनके हकों की पैरवी करने वाली सरकार चाहिए। ये सवाल कटारिया ने शनिवार को नगर के सेक्टर-4 स्थित महावर धर्मशाला में आयोजित दलित सम्मेलन में उठाये। सम्मेलन में दलितों ने एक सुर में सुशासन और उन्हें सम्मान देने वाली सरकार का साथ देने का संकल्प लिया। उन्होंने संकल्प लिया कि आगामी विधानसभा चुनावों में वोट की चोट से कांग्रेस से न केवल संविधान का अपमान का बदला लिया जाएगा, बल्कि प्रदेश में तीसरी बार भाजपा की हैट्रिक लगाएंगे।
कटारिया ने कहा कि कांग्रेस दलितों के लिए कैंसर जैसी बीमारी है, इस बीमारी को जड़ से नाश करने के लिए उनको एकजुट होना होगा व आगामी विधानसभा चुनावों में सुशासन और सम्मान के हित में वोट करना होगा।
सुदेश कटारिया ने कहा कि अभी हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने संविधान बदलने के नाम पर दलितों को भ्रमित किया। मगर सच्चाई यह है कि कांग्रेस ने हमेशा संविधान का अपमान किया। सम्मेलन में कृष्ण बेदी को पार्टी का महामंत्री नियुक्त किया गया।
दलितों को हमेशा वोट बैंक के तौर पर किया इस्तेमाल
सुदेश कटारिया ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साढ़े 9 साल के कार्यकाल में दलितों के हितों में करवाए गए कार्यों को गिनाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 10 साल में दलितों को अत्याचार और दबंगई का सामना करना पड़ता था। मनोहर लाल ने उनकी पीड़ा को समझते हुए अनुसूचित आयोग का गठन किया। अब प्रदेश में किसी भी दलित को भेदभाव या फिर दंबगई का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कांग्रेस पर बरसते हुए कहा कि दलितों को हमेशा वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया गया, लेकिन कभी उनके सम्मान के लिए कार्य नहीं किया। दलित कर्मी लंबे समय से पदोन्नति में आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे थे। मनोहर लाल ने उनकी इस मांग को पूरा किया। इसके साथ ही सफाई आयोग के साथ दलितों के होनहार और पढ़े-लिखे युवाओं को मेरिट और योग्यता के आधार पर नौकरी मिली। कटारिया ने कहा कि कांग्रेस को भाजपा से हिसाब से मांगने से पहले अपने 10 साल के कार्यकाल में दलितों पर हुए अत्याचार का हिसाब देना चाहिए। कांग्रेस का खुद का हिसाब-किताब बिगड़ा हुआ है और वह भाजपा से हिसाब मांग रही है।