कांग्रेसियों की यात्रा
हालांकि आजकल कांवड़ यात्रा का प्रचलन और चर्चा है, फिर भी कांग्रेस वाले भाई लोगों ने भी यात्राओं के जरिये चुनावी माहौल बना दिया है। अपनी-अपनी ढफली और अपना-अपना राग की तर्ज पर कांग्रेस नेताओं की यात्राएं चल रही हैं। कांग्रेस वाले हरियाणा के ‘युवराज’ पदयात्रा के जरिये प्रदेश के सभी नब्बे हलकों को नापने निकल चुके हैं। पहले दौर की यात्रा हो चुकी है। लोकसभा सत्र के चलते उसे रोका गया। सत्र के बाद फिर से सड़कों पर होंगे। इस बीच सिरसा वाली ‘बहनजी’ भी शहरों में कांग्रेस का ‘संदेश’ लेकर निकल पड़ी हैं। यात्राओं के पोस्टर पर भी विवाद हुआ। हालांकि अब दोनों ही यात्राओं के पोस्टर पर दोनों खेमों के नेताओं के फोटो चस्पा होने लगे हैं। ‘बहनजी’ की यात्रा में बांगर वाले चौधरी भी शामिल हो चुके हैं। कैथल वाले नेताजी भी जल्द ही रथ पर सवार नजर आएंगे। भिवानी वाली ‘मैडम’ के भगवा रंग में रंगने के बाद एसआरके अब बांगर वाले चौधरी के आने से एसआरबी खेमा बन गया है। यानी सांघी वाले ताऊ के खिलाफ फिर से ‘तिकड़ी’ बन गई है।
रंग बदल रही ब्यूरोक्रेसी
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा ब्यूरोक्रेसी की नजरें भी बदली-बदली लग रही हैं। भाजपाइयों में इसकी चर्चा है कि अफसरों ने काम करना छोड़ दिया है। अब पहले की तरह स्पीड से फाइलें नहीं निकल रही हैं। बताते हैं कि मंत्रियों के अलावा सरकार के भी कई ऐसे फैसले हैं, जिन्हें लागू करवाने में पसीना बहाना पड़ रहा है। अफसरशाही के बदले रंग-ढंग राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बने हुए हैं। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। आमतौर पर चुनावों से कुछ माह पहले अफसरशाही इसी तरह का रवैया अख्तियार कर लेती है। वैसे भी अफसरशाही को ‘राजपूत’ यानी राज का ‘पूत’ कहा जाता है। केंद्र की तर्ज पर अगर हरियाणा में भी सरकार तीसरी बार रिपीट होती है तो यही अफसरशाही फिर से हवा के साथ बात करती नजर आ सकती है।
साधे जाएंगे कर्मचारी
हरियाणा में ‘दाढ़ी’ वाले ‘बड़े साहब’ हर वर्ग को रिझाने, समझाने और मनाने में जुटे हैं। विधानसभा चुनावों पर ही पूरा फोकस है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस शासित राज्यों में फ्री की योजनाअों का विरोध करने वाले भाई लोग भी अब दोनों हाथों से ‘रेवड़ियां’ बांटने में जुटे हैं। माना जा रहा है कि इस बहाने बरसों से कांट्रेक्ट पर नौकरी कर रहे कर्मचारियों का भला हो सकता है। कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की नीति बनाई जा रही है। आईएएस अधिकारियों की कमेटी का गठन हो चुका है। इस तरह की खबरें हैं कि उन कर्मचारियों को 58 साल की उम्र तक नौकरी की ‘गारंटी’ मिल सकती है, जिन्हें कांट्रेक्ट पर काम करते हुए पांच साल या इससे अधिक का समय हो गया है। इससे हजारों की संख्या में कर्मचारियों काे फायदा होगा और यह ‘दाढ़ी’ वाले ‘बड़े साहब’ का बड़ा ‘मास्टर स्ट्रोक’ होगा।
हरियाणा के लाल
दिल्ली और पंजाब में सत्तासीन आम आदमी पार्टी वाले भाई लोगों का पूरा फोकस हरियाणा पर हो गया है। ताबड़तोड़ रैलियों की शुरुआत हो गई है। पंद्रह दिनों में 45 रैलियां की जाएंगी। भगवंत मान, सुनीता केजरीवाल, संजय सिंह व संदीप पाठक सहित अधिकांश दिग्गज ग्राउंड पर उतर चुके हैं। तिहाड़ में बंद आप संयोजक और दिल्ली वाले ‘सेठजी’ को हरियाणा का ‘लाल’ बताकर वोट मांगे जा रहे हैं। वैसे भी हरियाणा की राजनीति में ‘लाल परिवारों’ का पुराना और बड़ा वर्चस्व रहा है। तीन लालों के बाद चौथे लाल अब दिल्ली में बड़े ओहदे पर हैं। आप वाले नेता अब दिल्ली वाले ‘वाल’ को हरियाणा का ‘लाल’ बताते हुए वोट मांग रहे हैं। -दादाजी