चंडीगढ़, 20 अप्रैल (ट्रिन्यू)
आज पूरे देश में खेती और किसान संकट में हैं। भाजपा ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का सपना दिखाया था, लेकिन उसने किसानों की आय की बजाय उसकी लागत और कर्जा कई गुना बढ़ा दिया। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। देश में कृषि व किसानों की हालत पर नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में हुड्डा ने कहा कि यह योजना किसानों की बजाय बीमा कंपनियों के लिए लाभकारी साबित हो रही है।
उन्होंने कहा कि फसल खराबे के समय किसान मुआवजे का इंतजार करते रहते हैं और कंपनियां मोटा मुनाफा बटोरती हैं। हरियाणा में पिछले दिनों हुई बेमौसमी बारिश से हुए नुकसान का मुआवजा अबतक किसानों को नहीं मिला। योजना के जरिए अब तक बीमा कंपनियां पूरे देश में 40 हजार करोड़ का लाभ कमा चुकी हैं। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस के रायपुर महाधिवेशन में पार्टी ने संकल्प लिया था कि कांग्रेस सरकार बनने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की सभी कमियों को दूर कर इसको नया स्वरूप दिया जाएगा। बीमा योजना का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जाएगा, जो ‘नो-प्रॉफिट, नो-लॉस’ के सिद्धांत पर काम करेंगी। इसके लिए रिवॉल्विंग फंड का इंतजाम किया जाएगा। साथ ही, इसका लाभ भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को भी दिया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आज किसानों को न मुआवजा मिल रहा है और न एमएसपी। इसी सीजन में किसानों को सरसों और गेहूं की फसल एमएसपी से कम रेट पर बेचनी पड़ रही है। उन्होंने खुद मंडियों का दौरा करके किसानों का दर्द समझा है।
हुड्डा ने कहा कि 2018-19 के बजट में सरकार ने टॉप यानी टमोटो, ओनियन और पोटेटो स्कीम का ऐलान किया था ताकि टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्जियां उगाने वाले किसानों को लाभ पहुंचाया जा सके। पंजाब के किसानों की शिमला मिर्च, मध्य प्रदेश के किसानों का टमाटर, महाराष्ट्र के किसानों का प्याज और हरियाणा के किसानों का आलू बुरी तरह पिट रहा है। पिछले दिनों उन्होंने खुद कुरुक्षेत्र की मंडी का दौरा किया तो किसानों ने उन्हें बताया कि उनका आलू आज 50 पैसे प्रति किलो के रेट पर पिट रहा है। उसे उगाने की लागत ही 5-5 रुपये प्रति किलो है।
सरसों किसानों को भी एमएसपी नहीं मिल पा रही है। किसान अपनी फसल को एमएसपी से 1000-1500 रुपए कम रेट पर बेचने के लिए मजबूर है। यहीं हाल गेहूं का है। ऊपर से बेमौसमी बारिश के चलते हुए लस्टर लॉस पर सरकारी खरीद एजेंसियों से गेहूं के रेट में भारी भरकम वैल्यू कट लगाने का फैसला लिया है। जबकि सरकार को ये वैल्यू कट खुद वहन करना चाहिए और किसानों को प्रति क्विंटल 500 रुपये का बोनस देना चाहिए।
‘एमएसपी पर बनाई कमेटी का अता-पता नहीं’
हुड्डा ने कहा कि भाजपा स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले पर किसानों को एमएसपी देने का वादा करके सत्ता में आई थी। किसान आंदोलन के समय सरकार ने एमएसपी की लीगल गारंटी के लिए एक कमेटी बनाई थी, आज उनका कोई अता-पता नहीं है। सच्चाई यह है कि किसानों को एमसपी देने के मामले में मौजूदा सरकार कांग्रेस के सामने दूर-दूर तक कहीं नहीं ठहरती। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में धान की एमएसपी में मात्र 6 प्रतिशत सालाना की बढ़ोतरी हुई है। कांग्रेस कार्यकाल में 12.6 प्रतिशत बढ़ोतरी होती थी। हुड्डा ने कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने के लिए कांग्रेस उनको स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी देगी। कांग्रेस का मानना है कि एमएसपी की दायरे को और बढ़ाकर अन्य फसलों पर भी लागू किया जाना चाहिए। अदरक, लहसुन, हल्दी, मिर्च से लेकर बागवानी तक सभी कृषि उत्पादों को गारंटीशुदा कीमत मिलनी चाहिए।