कीर्तिशेखर
सेल्फ इम्प्रूवमेंट या आत्म सुधार आज के दौर में ऐसी प्रक्रिया मान ली गयी है, जिसका सिर्फ परीक्षार्थियों से ही रिश्ता है। आमतौर पर सेल्फ इम्प्रूवमेंट की बात और कोशिश करते भी ऐसे छात्र ही मिलेंगे, जो किसी एग्जाम की तैयारी कर रहे होते हैं या कैरियर बेहतर बनाने की कोशिश में लगे होते हैं। जबकि सेल्फ इम्प्रूवमेंट का रिश्ता सिर्फ नौकरी के लिए की गई तैयारी या किसी परीक्षा के प्रिपरेशन तक सीमित नहीं है। वास्तव में सेल्फ इम्प्रूवमेंट महज कैरियर या एग्जाम के लिए नहीं बल्कि पूरी जिंदगी के लिए होना चाहिए।
दिनचर्या में पालन करें
जब भी सेल्फ इम्प्रूवमेंट के लिए प्रयास करें, तो उसका लक्ष्य सीमित न रखें। यह न मानकर चलें कि इसे लिखकर बस एक एग्जाम पास करना है। इसलिए जब भी सेल्फ इम्प्रूवमेंट के लिए कोई किताब पढ़ें, कुछ नया करने की कोशिश करें तो उसका अमल अपनी दिनचर्या में करें। जानकारी और समझ बढ़ाने के लिए लोगों से मिलें, सेमिनारों में हिस्सा लें या वर्कशॉप ज्वाइन करें तो उसका रिश्ता तात्कालिकता से नहीं, पूरी जिंदगी को बेहतर बनाने के नजरिये से हो। एक बार आत्म सुधार हो जाये तो अगर नौकरी नहीं भी मिले, तो भी जीवन सुधर जायेगा।
खुद में सुधार से समाज का भी फायदा
आत्म-सुधार का मतलब खुद को बेहतर बनाने की प्रक्रिया है। एक ऐसा सफर है जो व्यक्ति को उसके भीतर की छिपी क्षमताओं को एक्सफ्लोर करने की सुविधा देता है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। वहीं सेल्फ इम्प्रूवमेंट से हमारे अपने फायदे के साथ ही देश और समाज का भी फायदा होता है। अगर हमने आत्म विकास कर लिया, तो एक बेहतर नागरिक बन जाएंगे और समाज को बेहतर बनाने में भूमिका अदा करेंगे। इसलिए हमें सेल्फ इम्प्रूवमेंट को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मानकर करना चाहिए।
सतत प्रक्रिया
सेल्फ इम्प्रूवमेंट कुछ नियमों को जान लेना भर नहीं है बल्कि सेल्फ इम्प्रूवमेंट सीखने की एक सतत प्रक्रिया है। हम पूरी जिंदगी खुद का विकास करते रह सकते हैं और अपने लिए जो जरूरी है, उसे सीखते रहना पड़ता है, क्योंकि सीखने का कोई अंत नहीं है। जैसे- आत्म सुधार की कोई सीमा नहीं है।
अनुकूल-आसान तरीके का चयन
सेल्फ इम्प्रूवमेंट के बहुत तरीके होते हैं और कोई भी तरीका किसी से कम या ज्यादा बेहतर नहीं होता। सब एक जैसे होते हैं। क्योंकि हर कोई एक तरीके से अपना आत्म सुधार नहीं कर पाता, सभी को अपने-अपने ढंग से चीजें सीखने की आदत होती है। इसलिए कोई लेक्चर सुनकर अपना इम्प्रूवमेंट करता है, तो कोई अच्छी किताबें पढ़कर। कोई दूसरों से बातें करके, तो कोई किसी के अनुभवों से सीखता है। कोई जोखिम लेकर, कोई गलतियां करके और कोई असफल होकर सफलता की तरफ कदम बढ़ाता है। सवाल है आप क्या करना चाहते हैं व क्या करना आसान लगता है? जिस चीज में आप कंफर्टेबल हों वही करें।
महत्वकांक्षा और तार्किक मकसद
हम जब भी आत्म विकास का बीड़ा उठाएं, तो हमें पता होना चाहिए कि आखिर हम यह क्यों कर रहे हैं? हर कोई अपने आपमें यूनीक है। हर किसी की अपनी क्षमताएं और कोशिश करने के तरीके हैं। इसलिए जब भी सेल्फ इम्प्रूवमेंट का सिलसिला शुरू करें तो आपके पास एक चमकदार महत्वकांक्षा और तार्किक मकसद होना चाहिए। एक बार जब हम अपने मकसद को लेकर आत्म सुधार के सफर में आगे बढ़ते हैं तो फिर हम अपनी मंजिल से पीछे नहीं रुकते। आपकी बुनियादी रुचि जिस चीज में है, अगर उसी क्षेत्र में अपना आत्म सुधार करेंगे, तो दिन दूना रात चौगुना दौड़ेंगे बशर्ते अपनी ताकत पर भरोसा करें। गुजरे हुए कल की गलतियों को लेकर हर समय न घूमें, गुजरे हुए कल की गलतियों से सीखें और आगे बढ़ें। जरूरी नहीं है कि जीवन में हर कोई आपको गलत सीख ही दे। इसलिए यह बात भी सही नहीं है कि सुनें सबकी, करें मन की। अगर सामने वाला ईमानदारी से कोई सलाह दे रहा है, तो सलाह मानने में कोई बुराई नहीं है। कभी-कभी दूसरों की भी सुनने की कोशिश करनी चाहिए। -इ.रि.सें.