संगरुर, 31 जुलाई (निस)
अकाली दल की अनुशासन समिति द्वारा पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में सुखबीर बादल को पार्टी से निकालने के फैसले के बाद परमिंदर ढींडसा ने उन पर बड़ा हमला बोला है। ढींडसा ने कहा कि उन्हें किसी से अकाली होने का सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है, वह अकाली थे और अकाली ही रहेंगे जबकि उनके फैसले से साबित हो गया है कि सुखबीर बादल कितने डरे हुए हैं। ढींढसा ने कहा ‘मुझे और मेरे साथियों को अकाली दल से निकालने का फैसला किया गया। आज यह पार्टी बादल कंपनी बन गयी है, हमें इस कंपनी से कोई उम्मीद नहीं है। हमारा मिशन अकाली दल को बचाना है, हमारा लक्ष्य अकाली दल को उसकी पुरानी परंपराओं में बहाल करना है, इसीलिए हमने अकाली दल सुधार आंदोलन शुरू किया है।’
उन्होंने कहा कि न तो हमें कोई नोटिस भेजा गया और न ही जवाब मांगा गया, सिर्फ इतना कहा गया कि अनुशासन तोड़ा गया है। क्या पार्टी की भलाई की बात करना अनुशासन का उल्लंघन है या पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ बोलना अनुशासन का उल्लंघन है, जबकि अनुशासन का सबसे बड़ा उल्लंघन खुद सुखबीर बादल हैं, जिन्होंने जालंधर उम्मीदवार का विरोध किया और दूसरी पार्टी का समर्थन किया। क्या पार्टी सत्ताधारी पार्टी से ऊपर है? ढींढसा ने कहा कि हम सुखबीर बादल के गुलाम नहीं बन सकते। हमने सम्मान की राजनीति की है और सम्मान की राजनीति करेंगे। जो लोग ऐसी गुलामी की मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं, उनके लिए भगवान को सच्चाई नहीं बल्कि नेक इरादे का फैसला करना है, लेकिन जब तक आप गुलामी की जंजीरें नहीं तोड़ेंगे, पंजाब की जनता आपको स्वीकार नहीं करेगी।’
ढींडसा ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा के राजनीतिक विंग के सदस्य रहे प्रदीप कलेर ने सुखबीर बादल पर बड़े आरोप लगाए हैं। सुखबीर बादल को खुद इस मुद्दे पर सफाई देनी चाहिए थी, लेकिन उनके चम्मचे सफाई दे रहे हैं। सुखबीर खुद इस मुद्दे पर क्यों नहीं बोले और लोग पत्र के बारे में क्यों नहीं बता सके। पंजाब की जनता बहुत समझदार है और जनता ही सच-झूठ का फैसला करेगी।
सुखबीर को बड़ी सजा सजा दी जाए : सुखपाल खैहरा
कुल हिंद कांग्रेस किसान सेल के अध्यक्ष और भुलत्थ हलके से विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि डेरा सिरसा से जुड़े रहे प्रदीप कलेर ने जो अंदरुनी राज उजागर किए हैं, उससे यह साबित हो गया है कि सुखबीर सिंह डेरा प्रमुख को माफी देने के मामले में दोषी हैं। बादल ने ड्रामा रचकर उस समय अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों पर दबाव डालकर डेरा प्रमुख के लिए माफीनामा तैयार करवाया गया था। कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा कि उस समय राज्य में अकाली दल की सरकार थी, जिसे पंथक कहा जाता था और जो सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी मानी जाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की साजिश रचने के लिए जिम्मेदार सुखबीर सिंह बादल के लिए सिर्फ माफी ही काफी नहीं होगी, बल्कि आगे भी अगर सिख पंथ में कोई और बड़ी सजा हो तो दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उक्त मामले को लगभग नौ वर्ष बीत गये हैं। देर से ही सही, बागी अकालियों को होश आ गया है, लेकिन उन्हें पहले बोलना चाहिए था।