अमिताभ स.
फ्रांस की राजधानी पेरिस यूरोप की सबसे ग्लैमरस सिटी में से एक है। यह ‘रोशनी का शहर’ भी है, इसलिए ‘एन इवनिंग इन पेरिस’ जाना-पहचाना नाम बन गया है। हर नई-पुरानी इमारतें लाइटों से जगमग रहती हैं। पेरिस सीन नदी के किनारे बसा है। सीन के साथ-साथ टहलना मजेदार तफरीह है। सीन पर रात के वक्त क्रूज की सैर मन मोह लेती है। बोट लाइटों से जगमगाती तमाम हेरिटेज बिल्डिंगों के सामने से गुजरती है और साथ-साथ ईयर फोन के जरिए इमारतों के बारे में दिलचस्प बातें सुनाई जाती हैं। लूवरे म्यूजियम, नेशनल असेंबली, सिटी हॉल और एफिल टॉवर सभी बारी-बारी आंखों के सामने होते हैं।
सीन के एक किनारे पर 1049 फुट ऊंचा गगन छूता एफिल टॉवर लैंडमार्क है। इसे देखने हर साल लाखों टूरिस्ट पेरिस उमड़ते हैं। करीब-करीब सभी इसे बैकड्रॉप बना कर फोटो या सेल्फी खिंचवाते हैं। अनूठा तो है ही। फ्रांस के इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने मार्च, 1889 में बनाया था और तब से आज तक मेटल की मीनार का एक भी पुर्जा या रिपट बदलने की जरूरत नहीं पड़ी। लिफ्ट और सीढ़ियों से इसकी दूसरी मंजिल तक चढ़ सकते हैं। मोनालिसा, लूवरे पिरमिड, नोटरे डेम कैथेड्रल, आर्क डी त्रिथोफे, शोन ऐलीसे और पेंशन समेत पेरिस की तमाम टूरिस्ट सट्रेक्शंस एफिल टॉवर से पैदल दूरी पर हैं।
मोनालिसा का घर
यूरोपीय ठाठ-बाठ का नज़ारा पेरिस के चप्पे-चप्पे पर बखूबी दिखाई देता है। फैशन, परफ्यूम, जूलरी और अन्य लग्जरी साज-समान के लिए खासमखास जगह है। पेंटिंग्स का बड़ा ठिकाना है। ‘लूवरे म्यूजियम’ नाम का दुनिया का सबसे बड़ा आर्ट म्यूजियम इसकी शान है। लूवरे में बेजोड़ पेंटिंग्स, कलाकृतियों और एंटीक्स की नुमाइश से रू-ब-रू होना चाहें, तो कम से कम 3 दिन चाहिए।
सीधे बिना भटके और फटाफट विश्व विख्यात पेंटिंग मोनालिसा का ही दीदार करना चाहें, तो यहां-वहां से पहुंचने के लिए संकेत चिन्ह लगे हैं। मोनालिसा को एक नज़र देखने के लिए लोगों का हुजूम जुटता है। मोनालिसा ही नहीं, वीनस डी मिले, विगंड विक्टरी समेत मिस्र, ग्रीस और रोम तक के तमाम आर्टपीस और मास्टर पीस आंखों के सामने होते हैं।
फैशनेबल स्ट्रीट, वर्ल्ड फेमस कैबरे
पेरिस की सबसे फैशनेबल स्ट्रीट शोन ऐलीसे क्या शानदार है। इसी स्ट्रीट पर तमाम बड़े फैशन हाउस, दूतावास, फाइव स्टार होटल, हाई फाई रेस्टोरेंट और फ्रेंच राष्ट्रपति का निवास भी है। साल 1840 से शोन ऐलीसे एवेन्यू पर विक्टरी परेड, राजकीय जुलूस वगैरह के भव्य आयोजन किए जाते हैं। यहीं स्टाइलिश गाउन और हेड वियर से सजी-धजी सुन्दरियों की जानी-मानी फैशन परेड होती है।
दुनिया का सबसे फेमस नाइट क्लब ‘लीडो डी पेरिस’ भी पेरिस की इसी सबसे दिलकश स्ट्रीट के बीचोंबीच है। लीडो डी पेरिस की शुरुआत 1946 में हुई थी और तब से अब तक यह एफिल टॉवर की माफिक पेरिस का लैंडमार्क बना है। शुरू-शुरू में, लीडो बैले डांस का रूप रहा और ऑडिटोरियम की सजावट वेनिस के समुद्री किनारे लीडो से मिलती-जुलती रही। आज यह जादुई, तड़क-भड़क और ग्लैमर की भरी-पूरी दुनिया है। क्वीन ऑफ लव, कसीनो, लेट द गेम बिगन, वर्ल्ड ऑफ एंटरटेनमेंट वगैरह एक से एक हर स्टेज शो हाई-फाई हैं। सुन्दरियों के पहने-पहनाए कपड़े डांस करते-करते बदल जाना जैसे मैजिक करतबों से सजे लीडो देखे बगैर पेरिस का जलवा वाकई अधूरा है।
पेरिस का कोना-कोना आकर्षणों से सजा है। नेत्रहीनों की भाषा ब्रेल लिपी के आविष्कारक लुई ब्रेल का स्मारक भी यहीं हैं। सेंट्रल पार्क के लक्जमबर्ग पैलेस की शान किसी से कम नहीं है। नोटरे-डेम कैथेड्रल फ्रांस की बड़ी चर्च है। यहां ईसा मसीह को पहनाया गया कांटों का मुकुट ‘ट्रू क्रॉस’ का एक हिस्सा रखा है। हर साल गुड फ्राइडे को इसकी भव्य नुमाइश लगती है। नजदीक ही दिल्ली के इंडिया गेट से मिलती-जुलती ऑर्क द ड्रियूम्फ भी देखने लायक है। इसे पहली नज़र से देखते ही बेपरवाह पर्यटक चलती सड़कों के बीचोंबीच सेल्फी खींचने को बेकरार हो उठते हैं।
हवा में तैरता है प्यार
पेरिस को सिटी ऑफ लवर्स भी कहते हैं। रोमांस आबोहवा में तैरता समझिए। गलियों-बाज़ारों में यहां- वहां प्यार करते युगल खूब दिखते हैं। बताते हैं कि 1960 के दशक में, पेरिस की गलियों में ही नवाब पटौदी ने शर्मिला टेगोर को निकाह की पेशकश की थी। स्ट्रीट फूड के वेंडर्स और रेस्टोरेंट कम नहीं हैं। और तो और, फ्रेंच फ्राइज़ और फ्रेंच टोस्ट का जन्म यहीं हुआ है। सादे-प्लेन ही नहीं, हॉट गार्लिक, सालसा, चीज, चॉकलेट वगैरह कई वैरायटी के फ्रेंच फ्राइज सर्व किए जाते हैं। रेस्टोरेंट्स दोपहर 2 बजे तक लंच और रात साढ़े 9 बजे तक डिनर सर्व करते हैं। सारे यूरोप की तरह बेकरी और आइसक्रीम के शौकीन यहां भी कम नहीं हैं।
फ्रेंच भाषा का बोलबाला है। फ्रेंच न समझ-बोल सकने वालों को ज़रा परेशानी होती है क्योंकि अंग्रेजी सभी नहीं बोलते-समझते। कार पार्किंग की दिक्कत के चलते लोग अपनी कार की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट में आते-जाते हैं। टैक्सी महंगी है, लेकिन मेट्रो और सब अर्बन रेल लाइन मिला-जुलाकर आ-जा सकते हैं। मेट्रो, रेलवे स्टेशन और भीड़भाड़ वाले इलाकों में जेब कतरे अपनी देश के शहरों की माफिक ही हैं। इस लिहाज से, पेरिस बाकी यूरोपीय शहरों के मुकाबले ज्यादा सेफ सिटी नहीं है। जगह-जगह महिलाओं को अपने पर्स सम्भालने और जेब कतरों से आगाह किया जाता है। चेटलेट स्टेशन की भीड़भाड़ तो दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन को मात देती है। यहां 3 ट्रेनें व 5 मेट्रो लाइंस एक साथ मिलती हैं और प्रवेश-निकास के 12 गेट हैं।
डिज्नीलैंड
पेरिस से महज 45 मिनट की ट्रेन दूरी पर है डिज्नीलैंड। हर 15 मिनट में, ट्रेन पेरिस से डिज्नी आती-जाती है। पूरा माहौल ही फुल मौज-मस्ती-मज़े पर टिका है। हर ओर हंसी-खुशी और एक से एक झूले- राइड्स की रौनकें हैं कि छोटा-बड़ा हर कोई घंटों खो जाए। एक के साथ दूसरा और दूसरे के साथ तीसरा थीम पार्क जुड़ा है। हर उम्र की दिलचस्पी के भरपूर खेल-तमाशे हैं। फेंटेसी लैंड में बचपन के सपनों को सच होते देख सकते हैं, तो एनकाउंटर जोन में, दूसरे लोक में उतरे एलिंस से मुलाकात कर सकते हैं। हर दोपहर साढ़े 3 बजे मिक्की माउस समेत डिज्नी कार्टून करेक्टरों की झूमती-गाती परेड बड़ी अट्रेक्शन है। फिर रात 8 बजते-बजते रंग-बिरंगी आतिशबाजी दंग कर देती है।
9 घंटे की उड़ान
* हवाई उड़ान से दिल्ली से पेरिस पहुंचने में करीब पौने 9 घंटे लगते हैं।
* और समय के लिहाज से, पेरिस दिल्ली से करीब साढ़े 4 घंटे पीछे है।
* करेंसी यूरो है। आजकल एक यूरो करीब 95 रुपये का है।
* फ्रांस घूमने-फिरने के लिए अप्रैल से अगस्त बेस्ट महीने हैं, फिर कड़ाके की ठंड पड़ती है।