कुलभूषण/निस
बड़ागुढ़ा, 1 अगस्त
डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुरचंद वकील का आज सुबह निधन हो गया। वे पिछले वर्ष से बीमार चल रहे थे। दिल्ली के मैक्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए जगमाल वाली डेरा में रखा गया। शुक्रवार सुबह उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। डेरा प्रमुख के निधन के बाद डेरा में 3 से 4 अगस्त तक होने वाला वार्षिक समागम को रद्द कर दिया गया है। ये ऐसा पहली बार होगा जब डेरा में कोई भी वार्षिक समागम नहीं होगा। इससे पहले 31 जुलाई को डेरा प्रबंधन ने बताया था कि महाराज जी का इलाज जारी है और उनका स्वास्थ्य स्थिर बना हुआ है। संत बहादुरचंद मूल रूप से चौटाला गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 10 दिसंबर, 1944 को चौटाला में ही हुआ था। 9 अगस्त, 1998 को संत बहादुरचंद को डेरे की गद्दी सौंपी गई और तब से वे मस्ताना शाह बलूचिस्तानी डेरा जगमालवाली के प्रमुख हैं। जगमालवाली 300 साल पहले बसा था, जो मंडी कालांवाली से 8 किलोमीटर की दूरी पर है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो
एक तरफ संतो का पार्थिव शरीर डेरा में पहुंचने पर विवाद का विडियो वायरल हो रहा है वहीं दूसरी ओर डेरा के अनुयायी अमर सिंह बिश्नोई की ओर से भी डेरा से संबंध रखने वाले दो लोगों पर आरोप लगाते हुए वीडियो वायरल किए गए हैं, जिसमें डेरा में रहने वाले बिरेंद्र सिंह ढिल्लों व उसके भाई व दो अन्य साथियों पर गोली चलाने के आरोप भी लगाए गए हैं। इनमें बिरेंद्र सिंह ढिल्लों, नंद लाल ग्रोवर, बलकार सिंह, रामशेर सिंह लहरी प्रमुख हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने संगत को धोखे में रखा और डेरा की पूरी विरासत को धोखे से अपने नाम भी करवा लिया है। इसमें कितनी सच्चाई है, इसका पता प्रशासन की जांच के बाद पता लगेगा।
अमर सिंह खोले राज, शिकायत हुई दर्ज
मीडिया के सामने अमर सिंह बिश्नोई ने बिरेंद्र सिंह ढिल्लों व उसके साथियों पर आरोप लगाते हुए कई राज मीडिया के सामने राज खोले। उसने बताया कि बिरेंद्र सिंह ढिल्लों व उसके साथियों ने संत जी को एक प्रकार से बंधक बनाकर रखा था और अपनी मर्जी चला रहे थे, ये बात संतों ने उन्हें बताई थी। संतों को बीमारी के दौरान किसी से मिलने नहीं दिया जाता था ताकि उनकी पोल न खुल जाए। आज संगत को पूरी बात बताई है। अब संगत ने फैसला लेना है। अमर सिंह ने बताया कि संतों ने उन्हें खुद पूरी बात बताई थी। वहीं, गदराना निवासी सतनाम सिंह ने पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई है कि उस पर बिरेंद्र सिंह ढिल्लों ने दो गोलियां चलाई, वह बाल-बाल बच गया।
सीबीआई जांच व प्रशासन के सामने खुलने चाहिए लॉकर
गांव जगमालवाली में स्थित मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम डेरा जगमालवाली के गद्दीनशीन संत महाराज बहादुरचंद वकील साहब के निधन को लेकर डेरा के प्रेमी अमर सिंह व सतनाम सिंह गदराना ने मांग की है कि उक्त मामले को सीबीआई से जांच होनी चाहिए। वहीं, संतों की जो खुद की अलमारी थी, जो उनके फिंगर प्रिंट से खुलती थी, वह प्रशासन की मौजूदगी में खुलनी चाहिए। पता नहीं संतों ने किसके लिए क्या लिखा हुआ है। पूरी बात संगत के सामने आनी चाहिए।
60 वर्ष पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
डेरा की शुरुआत 1964-65 में हुई जब बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में दी और डेरा बनाने का अनुरोध किया। इस पर संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलूचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले छोटा-सा आश्रम अब करीब 100 फीट का सचखंड बनाया गया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना है। वर्तमान में डेरे की गद्दी संत बहादुरचंद वकील साहिब के पास है।
डेरा का अगला मुखी कौन होगा
डेरा के संस्थापक गुरुबख्श सिंह मैनेजर साहब की वसीयत के अनुसार उन्होंने बहादुर चंद वकील साहब को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था, लेकिन वकील साहब के बाद डेरा का उत्तराधिकारी कौन होगा, इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आ रही है।
डबवाली पुलिस कसान दीप्ति गर्ग का कहना है
डबवाली पुलिस कसान दीप्ति गर्ग ने कहा कि स्थिति कंट्रोल में है ओर पुलिस फोर्स लगाई हुई है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को डेरा की ओर से अंतिम संस्कार किया जाएगा। संगत दर्शन करने के लिए संतों के पार्थिव शरीर का संगत दर्शन कर रही है। संगत में गमगीन माहौल बना हुआ है। संगत की ओर से लाइन में लगकर संत के दर्शन किए जा रहे हैं। सुनने में आया है कि शुक्रवार तक संगत उनके दर्शन करेगी और उसके बाद संत का अतिम संस्कार होगा।
भाजपा नेता व पूर्व सांसद अशोक तंवर भी डेरा में पहुंचे ओर उन्होंने शोक व्यक्त किया। वहीं, जत्थेदार संत बलजीत सिंह दादूवाल भी डेरा में पहुंचे। डेरा में पुलिस प्रशासन ओर गांव जगमालवाली व पिपली की पंचायत व गणमान्य लोगों में बैठकों का दौर शुरू था।