शिमला, 1 अगस्त (हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी के हीरानगर स्थित बाल सुधार गृह में अमानवीय व्यवहार को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात अक्तूबर 2023 से दिसंबर 2023 तक का रिकॉर्ड तलब किया है। तलब किए गए रिकॉर्ड में निरीक्षण रजिस्टर, प्रबंधन रजिस्टर, व्यक्तिगत बाल देखभाल योजना और मेडिकल रिकॉर्ड शामिल है। कोर्ट ने इसके अलावा संबंधित पार्षद, बाल कल्याण अधिकारी, जिला बाल कल्याण अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी और परिवीक्षा अधिकारी का मामले से जुड़ा रिकॉर्ड भी सुनवाई की अगली तारीख पर पेश करने के आदेश जारी किए।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने यह आदेश जारी करते हुए मामले की सुनवाई सूची 5 अगस्त को निर्धारित की है। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में बाल सुधार गृह में किशोरों से अमानवीय व्यवहार करने वाले दोषियों को उपयुक्त दंड देने की गुहार लगाई है। आरोप लगाया गया है कि यह बाल सुधार गृह की बजाए किशोरों के लिए टॉर्चर गृह बन गया है। हालांकि कम उम्र में अपराध को अंजाम देने वाले नाबालिगों को सुधारने हेतु इस बाल सुधार गृह में रखा जाता है। इसमें एक दर्जन से अधिक किशोर रखे गए हैं। पत्र में कहा गया है कि एक किशोर को इस सुधार गृह से 7 मई को रिहा किया गया था जिसने प्रार्थी को टेलीफोन कर सुधार गृह की भयानक कहानियों के बारे में बताया और उसने वहां रह रहे अन्य किशोरों को बचाने की प्रार्थना की। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड सोलन को भी जुबानी और लिखित शिकायत में उसने अपने साथ हुई मारपीट और यातनाओं के बारे में बताया था। उसने आरोप लगाया है कि उसे और अन्य बच्चों के साथ निजी प्रतिवादी अक्सर मारपीट किया करते थे। उन्हें धमकियां देते थे एक बार तो उसे इतना पीटा गया कि उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा। दो पीड़ित किशोरों ने तो महिला एवं बाल विकास विभाग जिला शिमला के प्रोग्राम अधिकारी से शिकायत की थी परंतु आरोपी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं को गई।