जयबीर राणा थंबड/निस
बराड़ा, 3 अगस्त
अम्बाला-सहारनपुर रेलमार्ग पर बराड़ा रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर बना रेलवे अंडरपास लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। शुरू से ही इसकी दीवारों से पानी रिसता रहता है और हमेशा इसमें पानी भरा रहता है। बारिश के दिनों में तो पिछले साल यह अंडरपास पानी से लबालब रहा, जिसके कारण काफी दिन लोग यहां से गुजर नहीं पाए। इसके बाद तो शायद इस अंंडरपास से कभी पानी सूखा ही नहीं। पानी खड़ा रहने के कारण अंडरपास में फर्श भी टूट गया और बड़े-बड़े पत्थरनुमा टुकड़े अस्त-व्यस्त हो गए। इसके कारण वाहन चालक यहां हादसाग्रस्त होने लगे। इसी कारण विभाग द्वारा अंडरपास को बंद कर दिया गया।
मौजगढ़ के पास बना यह अंडरपास कई गांवों को बराड़ा से जोड़ता है और रोजाना हजारों लोगों का इसी रास्ते से बराड़ा में आना जाना रहा है। क्षेत्र के गांव राजोखेड़ी, सुभरी, सज्जन माजरी, दादुपुर, तंदवाल, तंदवाली, जलूबी, राऊ माजरा समेत कई गांवों के लोग सरकारी कार्यालयों में जाने के लिए इसी रास्ते से बराड़ा आते-जाते हैं।
दरअसल इन गांवों में आने-जाने के लिए पहले बसंतपुरा के पास रेलवे फाटक था। जहां लोगों को काफी समय तक खड़ा रहना पड़ता था। अंडरपास बनने से लोगों को खुशी हुई कि अब फाटक पर समय बर्बाद नहीं होगा, लेकिन इसके उलट अब लोग ज्यादा परेशान हैं।
जनता की सुध नहीं ले रहा प्रशासन
बराड़ा के समाजसेवी डॉ. कुलदीप शर्मा, एडवोकेट मोहित शर्मा, रीटा केसरी, एडवोकेट अमित गर्ग समेत अन्य का कहना है कि सरकार विकास और लोगों की सुविधाएं की बात करती है, लेकिन जनता किस तरह से परेशान इसकी सुध कोई नहीं लेता। उन्होंने कहा कि बराड़ा में जब से यह अंडरपास बना तभी से लोग परेशान हैं। बराड़ा रेलवे स्टेशन के पास और मौजगढ़ के पास बने इस अंडरपास में बारिश के दिनों में पानी भर जाता है और लोगों का आवागमन बंद हो जाता है।
अंडरपास में पानी की वजह से कुछ नुकसान हुआ था इसलिए आमजन की सुरक्षा को देखते हुए अंडरपास को कुछ समय के लिए बंद किया था ताकि कोई हादसा न हो। अंडरपास में वाटर प्रूफिंग का कार्य चल रहा है। 15 दिन में इसे दोबारा से खोल दिया जाएगा।
-हरप्रीत सिंह, कार्यकारी अभियंता, रेलवे