कुरुक्षेत्र, 3 अगस्त (हप्र)
बिरला मंदिर परिसर की जमीन को लेकर चल रहे मामले में आखिरकार बिरला मंदिर बचाओ संघर्ष समिति का आंदोलन रंग लाया। 11 दिन बाद शुक्रवार को मामले का पटाक्षेप हो गया। इस जमीन पर किसी भी प्रकार से कोई भी व्यावसायिक साइट नहीं बनेगी। मंदिर परिसर की जमीन यथावत रहेगी तो वहीं इसमें स्थित शिव मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया जाएगा। इस मंदिर में आमजन का भी प्रवेश होगा तो वहीं जिला प्रशासन की ओर से मामले को लेकर 15 सितंबर तक पूरी तरह से जांच कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस पर दोनों पक्षों की सहमति बनीं तो संघर्ष कर रहे लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई।
इससे पहले समिति व ब्रह्मपुरी अन्न क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों की डीएसपी अशोक कुमार के प्रयासों के चलते सारस्वत ब्राह्मण धर्मशाला में करीब डेढ़ घंटे तक बैठक हुई। इसमें प्रशासन की ओर से तहसीलदार परमजीत सिंह राणा तो वहीं ब्रह्मपुरी अन्न क्षेत्र ट्रस्ट के प्रधान राजेश गोयल, जयभगवान सिंगला, बीवी मित्तल, मित्रसेन, सुभाष बिंदल व हरिमोहन गर्ग शामिल रहे। बिरला मंदिर बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष समाजसेवी अशोक शर्मा पहलवान, पवन शर्मा पहलवान, सारस्वत धर्मशाला एवं सभा प्रधान नरेंद्र शर्मा निंदी, एडवोकेट मुनीष शर्मा, गुरलाल सिंह, कार्तिक शर्मा आदि शामिल थे।
बैठक में पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा की और आपसी सहमति भी बनी। बैठक में सहमति के बाद दोनों पक्षों के पदाधिकारियों ने एक-दूसरे को गले लगकर बधाई दी। मामले को लेकर बिरला मंदिर बचाओ संघर्ष समिति ने अशोक शर्मा की अगुवाई में बिरला मंदिर के समक्ष 11 दिन पहले सोमवार को धरना शुरू किया था, जिसमें अधिकतर सामाजिक व धार्मिक संगठनों के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों के नेता व कार्यकर्ताओं ने भी समर्थन दिया था।
जनभावना की हुई जीत : अशोक शर्मा
आंदोलन की अगुवाई कर रहे समाजसेवी अशोक शर्मा पहलवान ने कहा कि बिरला मंदिर से पूरे शहर के लोगों की भावना व आस्था जुड़ी है। हर कोई चाहता था कि इस जमीन का व्यावसायीकरण न हो। ब्रह्मपुरी अन्न क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने भी यह बात समझते हुए उनकी सभी शर्तों को मान लिया। उन्होंने माना कि उनकी ओर से इस जमीन पर कोई व्यावसायिक साइट नहीं बनाई जाएगी। ट्रस्ट की यह सहमति जनभावना की जीत है।
दोनों पक्षों में पंचायती फैसला : राजेश गोयल
ब्रह्मपुरी अन्न क्षेत्र ट्रस्ट के प्रधान राजेश गोयल का कहना था कि दोनों पक्षों में पंचायती फैसला हो गया है, जिसके मुताबिक बेची गई जमीन वापस लिया जाना तय हुआ है। वे जनभावना का सम्मान करते हैं। पूरे मामले पर विस्तार से चर्चा के साथ सहमति बनी है।
यह हुआ फैसला
बिरला मंदिर की बेची गई जमीन वापस होगी और इस जमीन का कभी व्यावसायीकरण नहीं होगा। 15 सितंबर से पहले तहसीलदार इस जमीन को बेचे व खरीदे जाने व इसके पीछे उद्देश्य को लेकर जांच करेंगे। बिरला मंदिर जमीन की टुकड़ों में बनी एनडीसी रद्द कर एक ही बनाई जाएगी, जो केवल ट्रस्ट के नाम रहेगी। अगर जमीन बेची गई है तो वापस होगी। शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कर भव्य बनाया जाएगा।