समालखा, 5 अगस्त (निस)
पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना ने आज यहां पहली बार खुलासा किया है कि उन्होंने 2005 में हरियाणा विधानसभा से इस्तीफा देकर जीवन में समालखा से चुनाव नहीं लड़ने की कसम क्यों खाई थी। समालखा पुराना बस अड्डा पर पूर्व पार्षद श्याम बरेजा के कार्यालय पर मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए करतार भड़ाना ने बताया कि उस समय आम आदमी के हित में 17 सूत्री कार्यक्रम तैयार करके उसे लागू करवाने के लिए हरियाणा में बहुजन समाज पार्टी व ओमप्रकाश चौटाला की इनेलो का समझौता करवा कर प्रदेश में गठबंधन की सरकार बनवाना चाहता था ओर अपने हिसाब के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने की शर्त रखी थी, लेकिन इस प्रस्ताव को बसपा सुप्रीमो मायावती ने ठुकरा दिया था जिस कारण उन्होंने भाजपा ज्वाइन की और राजस्थान की दौसा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा।
समालखा विधानसभा क्षेत्र से अपने बेटे मनमोहन उर्फ मन्नू को लेकर चुनाव लड़वाने की बात पर उन्होंने कहा कि समालखा से उनका जन्म का रिश्ता है। क्षेत्रवासियों की सेवा करके मनमोहन भी उनके नक्शे-कदम पर चलते हुए क्षेत्र को लोगों का कर्जा उतारने का काम करेंगे।
करतार भड़ाना ने कहा कि उन्होंने बेटे मनमोहन उर्फ मन्नू को हिदायत दे रखी है कि या तो किसी तरह की जिम्मेदारी मत लेना।अगर जिम्मेदारी ली है तो उसे हर हाल में पूरा करना है। जातीय आरक्षण पर पूर्व मंत्री करतार भड़ाना ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से आरक्षण में क्रीमी लेयर के खिलाफ हैं। आरक्षण कोटे से जो भी विधायक या एसपी, डीसी बन जाता है तो उसे दोबारा से आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए बल्कि सही मायने में आरक्षण का फायदा जरूरतमंद या पिछली पंक्ति में खड़े व्यक्ति को मिलना चाहिए।