चंडीगढ़, 7 अगस्त (ट्रिन्यू)
करनाल जिले में धान और वुडन क्रेट में घोटाले का खुलासा हुआ है। हैफेड के अधिकारियों ने मिलीभगत कर ऐसी चावल मिलों को मिलिंग के लिए धान दे दिया, जो कागजों में चल रही थी। यानी ग्राउंड पर चावल मिल थी ही नहीं। जांच में इन आरोपों की पुष्टि भी हो गई है। फिलहाल हैफेड के डीएम (डिस्ट्रिक्ट मैनेजर) को हटा दिया है। सरकार विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। इसके बाद इस मामले में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।
अहम बात यह है कि सरकार की तीन एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो, हैफेड की इंटरनल विजिलेंस विंग और सीएम फ्लाइंग द्वारा जांच की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि जिन राइस मिलों को धान दिया गया, उनसे अभी तक चावल की आपूर्ति भी नहीं हुई है। इतना ही नहीं, हैफेड के पूरक सहकारी समितियों में कुछ अधिकारियों ने वुडन क्रेट में धांधली करने के साथ-साथ एक की फर्म को लगातार तीन साल के लिए टेंडर अलॉट कर दिए।
यहां बता दें कि इससे पहले कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत और करनाल के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों पर लेवी के धान को लेकर सवालों के घेरे में आ चुके हैं। एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने अपनी जांच में पाया कि 2019 से 2021 तक तक सहकारी समितियां करनाल के प्रबंधक पद पर रहते हुए डीएम हैफेड ऊधम सिंह ने पिता-पुत्र की एक ही फर्म को लगातार तीन साल तक वुडन क्रेट के करोड़ों रुपये के टेंडर देकर अनियमितताएं की।
आडिट में यह अनियमितताएं पकड़ी जा चुकी हैं। करनाल की रामा राइस मिल में बिजली का कनेक्शन नहीं होने के बावजूद उसे चावल तैयार करने के लिए धान दिया गया। घरौंडा की बजाज राइस मिल करीब दो साल से भी ज्यादा समय से पहले बिक चुकी थी, लेकिन फिर भी उसे चावल बनाने के लिए धान अलाट कर दिया गया। करनाल के शेरगढ़ टापू निवासी हरपाल सिंह ने इस संबंध में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को शिकायत भेजी थी। इसके बाद इस मामले की जांच शुरू की गई।
हैफेड डीएम पंचकूला शिफ्ट
सरकारी सूत्रों का कहना है कि प्राथमिक जांच में मामला सही मिलने पर हैफेड के करनाल के डीएम उधम सिंह को पंचकूला मुख्यालय शिफ्ट कर दिया है। आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों पर इस मामले में गाज गिर सकती है।