रामकुमार तुसीर/निस
सफीदों, 7 अगस्त
सफीदों क्षेत्र में पश्चिमी यमुना नहर की हांसी शाखा के दोनों तरफ सफीदों शहर व मंडी तथा कई गांवों की निकासी लेकर जाने वाली दोनों ड्रेनों को सफीदों से करीब 9 किलोमीटर दूर मुवाना फाल के पास हांसी शाखा नहर में डाला जा रहा है। यह कोई नई परियोजना नहीं बल्कि दशकों पुराना सिस्टम है जो बदस्तूर काम कर रहा है। इस तरह हजारों परिवारों के शौचालयों की गंदगी इस नहर के पानी में मिलकर जन स्वास्थ्य विभाग की नहर आधारित पेयजल परियोजनाओं के टैंकों में भी रॉ वॉटर के साथ घुलकर जा रही है। स्वाभाविक ही है कि किसी न किसी हद तक मानव स्वास्थ्य को इसका नुकसान भी होता ही होगा। स्थानीय लोगों का ध्यान इस तरफ ज्यादा नहीं है। इसका एक कारण यह भी है कि यह गंदगी आसपास की पेयजल परियोजनाओं के टैंकों से बची है।
सफ़ीदों के छापर गांव के सरपंच जसपाल सिंह मान ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों को की है। सरपंच का कहना है कि इस गन्दगी के बैक्टीरिया पानी से अलग कैसे हो जाते हैं। उनका यह सवाल भी है कि ड्रेन से बैक्टीरिया नहर के पानी मे आए, वहां से पेयजल के टैंकों में भी गए। जनस्वास्थ्य ने पानी टेस्ट कराया तो बैक्टीरिया नहीं मिले, कोई बताएगा कि वो बैक्टीरिया जा कहां रहे हैं।
इस सन्दर्भ में जन स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता संदीप कुमार ने बताया कि उनका विभाग साल में एक बार अपनी परियोजनाओं के पानी की केमिकल टेस्टिंग करता है और बैक्टीरिया की टेस्टिंग तो समय-समय पर होती रहती है। कभी कोई कमी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि बरसात जब ज्यादा होती है तो उसके साथ कचरा उनके टैंकों में न पहुंचे यह सुनिश्चित करने को नहरों के आउटलेट कुछ समय के लिए बंद करा देते हैं। उन्होंने बताया कि उनके मंडल क्षेत्र में केवल जींद में ही कुछ नहर आधारित परियोजनाएं हैं जिनके टैंकों को हांसी शाखा नहर या इसकी शाखाओं से रॉ वाटर मिलता है बाकी नरवाना व जुलाना क्षेत्र की परियोजनाओं का इस नहर से कोई संबंध नहीं है। कार्यकारी अभियंता ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इसे चेक करवाएंगे और जरूरी हुआ तो इसकी शिकायत भी करेंगे।
ऐसा नहीं हो सकता कि स्वास्थ्य को नुकसान न हो : डॉ. मुकेश
इस बारे में आज राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मुकेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ऐसी ड्रेन के पानी में नाइट्रेट व अमोनिया की मात्रा ज्यादा होती है। जिस पानी मे ड्रेन मिलती है उसमे भी इनकी मात्रा बढ़ती है। उन्होने कहा कि यह हो नहीं सकता की ऐसा पानी मानव शरीर को नुकसान न करे। डॉ. शर्मा ने कहा कि इसमें बैक्टीरिया तो रहते ही हैं।