रामकुमार तुसीर/निस
सफीदो, 8 अगस्त
रेल विभाग ने यहां जींद-पानीपत रेल शाखा के लेवल क्रॉसिंग 24-सी की जगह सुरक्षित सुविधाजनक आवागमन के लक्ष्य के साथ अंडरपास परियोजना मंजूर कर वर्ष 2018 में इसका निर्माण शुरू किया था। यह परियोजना सफीदों से 6 किलोमीटर दूर सिल्लाखेड़ी रेलवे हॉल्ट के अत्यंत निकट है। हालत यह है कि इसमें वर्ष के ज्यादातर समय गहरा पानी तो खड़ा ही रहता है, आज 6 साल तक इसका निर्माण भी पूरा नहीं किया गया है। अंडरपास के बड़े हिस्से पर बारिश के पानी से बचाव को शेड नहीं लगाया गया है और रोझला गांव के संपर्क मार्ग की तरफ इसके पिलर भी खड़े नहीं किए गए हैं। इसके निर्माण के समय शेड के ऊपर जो चाद्दरें लगाई गई थी उनमें काफी सारी हवा में उखड़कर गायब हैं। अंडरपास के साथ लगते खेत के मालिक किसान गोपाल ने बताया कि उसके खेत का पानी अंडरपास की दीवारों से रिसकर अंडरपास में भर जाता है, जिसका समाधान रेल अधिकारियों ने आज तक नहीं किया है।
स्थिति यह है कि चारपहिया वाहन के लिए रास्ता ही नहीं है और दो पहिया वाहन वर्ष भर में कुछ समय तभी चलते हैं जब इसमें पानी कम होता है।
जींद-सफ़ीदों सड़क मार्ग से यह रास्ता लिंक नहीं हुआ है। आरोप है कि रेल की ठेकेदार कंपनी ने उसके खेत की कई फुट जमीन को अंडरपास में ले लिया है। इसके निर्माण से यात्रियों को भारी असुविधा हो रही है। उत्तर की दिशा के गांव सिंघाना, मुवाना आदि के यात्री अंडरपास के बाहर खेतों के रास्ते स्टेशन तक पहुंचने को विवश हैं। ऐसे में कई बार दुर्घटना हो जाती है और बुजुर्गों व बीमार यात्रियों के लिए आवागमन अत्यंत कठिन है। मलार गांव के सरपंच प्रमोद मदान, बहादुरगढ़ के सरपंच प्रतिनिधि शमशेर सिंह व सिल्लाखेड़ी गांव के सरपंच अर्जुन सिंह सहित अनेक गणमान्य ग्रामीणों ने इस अंडरपास की स्थिति पर आपत्ति दर्ज करते हुए रेल प्रशासन से तत्काल इसका निर्माण पूरा करने का अनुरोध किया है।
आरटीआई में हुआ खुलासा
यह परियोजना मौके पर भले ही अधूरी पड़ी है, रेल विभाग के रिकॉर्ड में इसका निर्माण पूरा हो चुका है जिसका पूरा भुगतान भी ठेकेदार कंपनी को किया जा चुका है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी में रेल विभाग के पानीपत में एडीईएन, सीनियर डीईएन-1 द्वारा जारी की गई सूचना में बताया गया है कि मई 2018 में शुरू की गई इस परियोजना पर करीब 2 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई।