शिमला, 8 अगस्त (हप्र)
मुस्लिम समुदाय में ट्रिपल तलाक को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पति द्वारा पत्नी को दिया गया ट्रिपल तलाक यानी कानून के खिलाफ दिया गया तलाक है या नहीं, इस बारे में तथ्यों के आधार पर ट्रायल कोर्ट ही बेहतर तरीके से फैसला दे सकती है। हाईकोर्ट ने तीन तलाक से जुड़ी एफआईआर को रद्द करने से इनकार करते हुए प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश राकेश कैंथला ने मामले का निपटारा करते हुए कहा कि तलाक गैर कानूनी यानी तलाक ए बिद्दत है या नहीं, इस बारे में ट्रायल कोर्ट बेहतर तरीके से नतीजे पर पहुंच सकती हैं।
आरोपी शहबाज खान के खिलाफ उसकी पत्नी के पिता ने मुस्लिम महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 4 के तहत पुलिस स्टेशन धनोटू जिला मंडी में मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप लगाया गया है कि पति ने 13 जनवरी 2022 को लगातार तीन बार तलाक बोलकर तलाक ए बिद्दत दिया है, जो गैर कानूनी है।
इस मामले में पुलिस ने जांच के बाद आरोपी पति के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। आरोपी पति की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि उसने एक बार में तीन तलाक नहीं दिया है, बल्कि नियम के मुताबिक तीन बार लिखित नोटिस देकर तीन बार तलाक दिया है, जो कि कानूनी रूप से सही है। प्रार्थी का कहना था कि ट्रिपल तलाक से जुड़ा कानून तलाक ए बिद्दत पर लागू होता है और किसी अन्य तरह के तलाक पर लागू नहीं होता। प्रदेश सरकार की तरफ से कहा गया था कि महिला ने न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष दिए ब्यान में एक साथ तीन तलाक देने की बात कही है, इसलिए आरोपी को कोई राहत नहीं मिलनी चाहिए।
मामले के अनुसार शिकायतकर्ता पिता ने पुलिस के समक्ष एक प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें कहा गया था कि उसकी बेटी की शादी 12 दिसम्बर 2020 को शहबाज खान से हुई थी। याचिकाकर्ता पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि उसने दहेज की मांग की, जो उसे प्रदान किया गया। आरोप है कि इसके बाद याचिकाकर्ता और उसके पिता ने पीड़िता को अधिक दहेज लाने के लिए परेशान करना शुरू कर दिया। उसकी बेटी अपने वैवाहिक घर में तालमेल बिठाने की कोशिश की लेकिन उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।