एस. अग्निहोत्री/हप्र
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 8 अगस्त
ट्राईसिटी समेत उत्तर भारत के लोगों के उपचार का एकमात्र सहारा पीजीआई में बृहस्पतिवार को 4 हजार से अधिक कांट्रेक्ट पर कार्यरत कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों को उपचार करवाने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ा। इस दौरान ऑपरेशन की डेट वाले मरीजों की सर्जरी भी नहीं हो पायी।
जानकारी के मताबिक हड़ताल के दौरान ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और वार्ड में स्थिति खराब रही। ओपीडी में मरीजों के कार्ड न बनने से लोग भी गुस्से में नजर आए। रिसेप्शन काउंटर, शुल्क काउंटर खाली पड़े रहे। डॉक्टर रूम के बाहर अटेंडेंट न होने से डॉक्टरों को भी परेशानी हुई। ओपीडी में मरीजों के कार्ड डॉक्टर के कमरे तक नहीं पहुंच पाए। वहीं मरीज को ब्लड सैंपल देने एवं दूसरी जांच करवाने जैसे कामों में परेशानी का सामना करना पड़ा।
वहीं ज्वाइंट एक्शन कमेटी के अध्यक्ष अश्वनी कुमार मुंजाल का कहना है कि पीजीआई प्रशासन की तरफ से उनकी किसी भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। चार महीने से पीजीआई प्रबंधन व स्वास्थ्य मंत्रालय गरीब ठेकाकर्मियों का मजाक उड़ा रहा है। इसलिए सभी अनुबंधकर्मी हड़ताल पर हैं।
पुलिस ने जोर जबरदस्ती की तो कर्मचारी जेल भरो आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।
कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से पीजीआई में ओपीडी, वार्ड, ओटी और इमरजेंसी की व्यवस्था चरमरा गई। इससे पहले जून में भी अनुबंधकर्मियों ने एक दिन की हड़ताल की थी। हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशानी मरीज को झेलनी पड़ी थी।
ओपीडी से लेकर वार्ड, इमरजेंसी, ओटी, ट्रॉमा सेंटर तक हर जगह कार्य बाधित रहा। जिन मरीजों को पहले से ऑपरेशन की डेट दी गई थी, उनकी सर्जरी भी समय पर नहीं हो सकी, वहीं ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों को डॉक्टरों तक पहुंचने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी थी।
पीजीआई के अनुबंध कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। इन कर्मचारियों में अस्पताल अटेंडेंट, सफाई कर्मचारी, रसोई कर्मी, कपड़े धोने वाले कर्मचारी, टेक्नीशियन, सुरक्षा कर्मी भी शामिल हैं। इस दौरान वे एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करते रहे। हड़ताल की घोषणा से पहले बुधवार की शाम केंद्रीय उप श्रम आयुक्त के सामने दोनों पक्षों में सुलह वार्ता हुई थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था।
हड़ताल अनैतिक और अनुचित : निदेशक
पीजीआई में आउटसोर्स कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने जनता से सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि पीजीआई जैसे अस्पताल में हर रोज हजारों मरीज अपना इलाज करवाने के लिए दूर दराज के क्षेत्रों से भी आते हैं। ऐसे अस्पताल में हड़ताल करना अनैतिक और अनुचित है। सात से अधिक राज्यों के रोगियों की सेवा करने वाले पीजीआई की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है। प्रो. लाल ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में भी बताया । उन्होंने कहा कि जहां संभव हो, ऑनलाइन पंजीकरण सेवाओं का उपयोग करें। नियमित कर्मचारियों को जुटाया गया है और प्रोजेक्ट सारथी के 37 समर्पित स्वयंसेवक और विश्व मानव रूहानी केंद्र और सुख फाउंडेशन जैसे गैर सरकारी संगठनों के कई अन्य लोग संचालन को बनाए रखने में सहायता कर रहे हैं।