नागपुर (महाराष्ट्र), 12 अगस्त : लंबी चोंच वाले गिद्धों का लुप्तप्राय होना प्रकृति के लिहाज से अच्छा नहीं है, लेकिन अब इनका पुनर्वास किया जा रहा है। इसी तरह का पुनर्वास पेंच बाघ अभयारण्य में किया गया है। अभ्यारण्य ने ‘बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी’ (बीएनएचएस) के साथ मिलकर लंबी चोंच वाले लुप्तप्राय गिद्धों का उनके प्राकृतिक आवास में पुनर्वास किया है जो वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पेंच बाघ अभयारण्य (महाराष्ट्र) के उप निदेशक प्रभु नाथ शुक्ला ने रविवार को एक बयान में बताया कि इसके प्रयास 21 जनवरी को शुरू हुए जब हरियाणा के पिंजौर में जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र से लंबी चोंच वाले 10 गिद्ध लाए गए। इन गिद्धों को ‘ईस्ट पेंच पिपारिया रेंज’ के ‘सेंट्रल बोडाल्जीरा बीट’ में एक पक्षीशाला में रखा गया जहां उन्होंने स्थानीय जंगली गिद्धों के साथ तालमेल बैठाने के लिए सात महीने का वक्त गुजारा। शुक्ला ने बताया कि कई महीनों तक तैयारी करने और निगरानी करने के बाद 10 अगस्त को वह अहम क्षण आया जब लंबी चोंच वाले गिद्धों को पक्षीशाला से बाहर निकाला गया और उन्हें जंगल में छोड़ दिया गया जहां उन्होंने जंगली गिद्धों के साथ मिलकर मृत चीतल को खाया। उन्होंने बताया कि सभी गिद्धों ने मिलकर मृत चीतल को कम समय में पूरा खा लिया जो उनके पुनर्वास की प्रक्रिया की सफलता का संकेत देता है। पक्षीशाला से छोड़े गए सभी गिद्धों में पीटीटी (जीपीएस) टैग लगाया गया है जिससे उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी। शुक्ला ने बताया कि पेंच बाघ अभयारण (पीटीआर) और बीएनएचएस जीपीएस टैग के जरिए गिद्धों की आवाजाही पर नजर रखता रहेगा। (भाषा)