भिवानी, 12 अगस्त (हप्र)
सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति वर्ग के आरक्षण में वंचित वर्ग को अलग से आरक्षण दिए जाने के फैसले के बाद इस मामले पर बहस तेज हो गई है। नये फैसले से प्रभावित अनुसूचित जाति वर्ग ए से जुड़ी 42 जातियों के विभिन्न संगठनों ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कुल 20 फीसदी आरक्षण में से नई व्यवस्था अनुसार वर्ग ए के लिए 10 फीसदी आरक्षण शैक्षणिक संस्थाओं की तर्ज पर सरकारी नौकरियों में लागू करने की मांग उठाई। इस अवसर पर संत कबीर धानक महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व जिला पार्षद अजीत बामला व अनुसूचित जाति वर्ग ए के नेता बृजेश वाल्मीकि, धर्मवीर डाबला ने कहा कि अनुसूचित जाति के 20 फीसदी आरक्षण का लाभ सभी अनुसूचित जातियों को नहीं मिला है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर एक अगस्त 2024 को सात सदस्यीय संविधान पीठ का फैसला आया है तथा अनुसूचित जाति में अलग से वंचित वर्ग को आरक्षण देने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि अब अनुसूचित जाति वर्ग ए की 42 जातियों को लाभ पहुंचाने की गेंद राज्य सरकार के पाले में है। उनकी मांग है कि भाजपा सरकार तुरंत वंचित वर्ग की इन 42 जातियों को पूर्व में शैक्षणिक संस्थानों में दिए गए दाखिले की तर्ज पर सरकारी नौकरियों में आरक्षण दे।