सुरजीत सिंह/निस
समराला, 12 अगस्त
यहां से 7 किलोमीटर दूर गांव घुलाल स्थित बिजली ग्रिड में बने एक्सईएन कार्यालय के क्लर्क उचित दफ्तर भवन की कमी के कारण वर्षों से नारकीय हालात में नौकरी करने के लिए मजबूर हैं। यह कार्यालय पिछले कई वर्षों से बिजली ग्रिड में कर्मचारियों के लिए बने जर्जर क्वार्टरों में चल रहा है, जिसमें बहुत छोटे-छोटे कमरे हैं। इन कमरों में अक्सर अंधेरा ही रहता है। कर्मचारियों के लिए न तो उनके पद के अनुसार बैठने के लिए उचित कमरा है और न ही रोशनी का प्रबंध है। और तो और, दफ्तर में स्टाफ के लिए साफ-सुथरे बाथरूम तक उपलब्ध नहीं हैं। सभी कर्मचारियों को साफ-सुथरे बाथरूम न होने के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कमरों में बहुत ही महत्वपूर्ण रिकॉर्ड की उचित देखभाल का कोई प्रबंध नहीं है, जिसके कारण कीमती रिकॉर्ड उचित देखभाल न होने के कारण पूरी तरह नष्ट हो गया है। करीब 50 साल पहले बने इन क्वार्टरों की दीवारों ने सीमेंट छोड़ दिया है। अस्थायी रूप से काम चलाने के लिए विभाग की ओर से दीवारों पर पैचवर्क करा दिया गया, पर समस्या हल नहीं हुई। वर्षों से इन कमरों और दरवाजों-खिड़कियों को रंग-रोगन नहीं कराया गया, जिसके कारण ये बुरी तरह जर्जर हो चुके हैं। मौजूदा हालात यह बन रहे हैं कि बरसात के मौसम में इन क्वार्टरों की छतें चू रही हैं, जिसने इनकी परेशानी और बढ़ा दी है। छतें चूने के कारण रखा हुआ रिकॉर्ड और भी खराब हो गया है। दफ्तर के आसपास सफाई न होने के कारण सांप, चूहों और अन्य जीवों का कमरों और अलमारियों में बसेरा बन गया है।
इन जानवरों के दफ्तर रिकॉर्ड और अलमारियों में छिपने के कारण वे कई बार भीतर ही फंसकर मर जाते हैं, जिससे उनकी बदबू वाले माहौल में कर्मचारियों को काम करना और भी दूभर हो जाता है। कर्मचारियों का कहना है कि सांप दफ्तर रिकॉर्ड में छिपकर बैठ जाते हैं। इसलिए उन्हें हमेशा जान का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि उन्हें सारा काम जान हथेली पर रखकर ही करना पड़ता है। जब मरे हुए जानवरों की बदबू हद से ज्यादा हो जाती है, तो मजबूरन मुंह पर कपड़ा बांधकर काम करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि पावरकॉम की ओर से बिजली घर में मानक के अनुसार एक्सईएन दफ्तर की इमारत बनाई गई थी, जिसे बिजली ग्रिड में विस्तार करने के कारण करीब 12 साल पहले बिना सोचे-समझे ढहा दिया गया था। उसके साथ ही 60-70 साल पुराने आम, सफेदा और अन्य कई किस्म के पेड़ भी काट दिए गए थे। 12 साल पहले ही उस समय के अधिकारी ने नई इमारत के निर्माण के लिए योजना बनाकर भेजी थी, जो कि दफ्तर की कार्यवाही में आज तक अटकी हुई है। आज जब बारिश के कारण छतें चूने लगीं और दफ्तर की फाइलों में सांप नजर आए, तो दफ्तर के स्टाफ ने मिलकर अतिरिक्त अधिशासी अभियंता कंवलप्रीत सिंह सिद्धू के ध्यान में यह मामला लाया, तो उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे इस संबंध में उच्च अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं। उम्मीद है कि नई दफ्तर की इमारत का निर्माण अक्टूबर महीने तक शुरू हो जाएगा।