चंडीगढ़, 12 अगस्त (ट्रिन्यू)
मेवात के प्रेमचंद कहे जाने वाले उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल का कहना है कि हमें उन अनाम शहीदों की शहादत को सम्मान देना चाहिए, जिनके योगदान को इतिहास के पन्नों में जगह नहीं मिली। उन्होंने उ.प्र. में देवारिया के 13 वर्षीय रामचंद्र विद्यार्थी का भावपूर्ण स्मरण किया, जिन्हें ब्रिटिश ध्वज उतारकर तिंरगा लहराने पर भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गोली मारकर शहीद कर दिया गया था। बीपीएचओ संस्था के तत्वावधान में आयोजित एक समारोह में रोहतक के डॉ. कंवल किशोर प्रजापति द्वारा लिखी गई पुस्तक ’एक नन्हा सरफरोश-शहीद रामचंद्र विद्यार्थी’ के विमोचन मौके पर मुख्य अतिथि व दिल्ली साहित्य अकादमी के सदस्य भगवान मोरवाल न कहा कि यह विडंबना ही है कि राष्ट्र की आजादी के लिये सर्वस्व अपर्ण करने वाले शहीदों को याद करना पड़े। यह मौका भावुक कर देने वाला था जब प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में देवरिया से आये किशोर शहीद रामचंद्र विद्यार्थी के छोटे भाई रामबड़ाई प्रजापति ने उनकी शहादत व जीवन के प्रसंग सुनाए। उल्लेखनीय है कि देवारिया के ग्राम नौतन-हथियागढ़ के रामचंद्र विद्यार्थी के दादा भरदूल व पिता बाबूलाल प्रजापति भी स्वतंत्रता सेनानी थे। रामचंद्र की शहादत के बाद अंग्रेजों ने उनके परिवार पर जुल्म किये। इस कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक डॉ कंवल किशोर, पूर्व आईएएस आर.एस.वर्मा, बीपीएचओ के मुखिया सत्यानारायण प्रजापति, शहीद रामचंद्र के भतीजे संजय प्रजापति, डॉ.के.के वर्मा, रमेश टांक, जय सिंह वर्मा, नरेश प्रजापति, दिलबाग, डॉ. अजय, कृष्ण शास्त्री आदि ने विचार रखे।