शिमला, 12 अगस्त (हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में सेवानिवृत्ति के बाद पुन: रोजगार जनहित को ध्यान में रखकर ही मिलेगा। इसके लिए समय-समय पर हाईकोर्ट एवं कार्मिक विभाग की तरफ से जारी आदेशों का विभाग पालन करेंगे। यदि कोई विभाग इन आदेशों की अवहेलना करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं पुन: रोजगार देने के मामलों में वित्त विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य है। सुक्खू सरकार के प्रधान सचिव वित्त की तरफ से इस आशय संबंधी आदेश सभी प्रशासनिक सचिवों को जारी किए गए हैं। कार्मिक विभाग की तरफ से पुन: रोजगार देने को लेकर, 10 नवम्बर, 2023 और 24 जुलाई, 2024 को आदेश जारी किए गए हैं। यानी स्पष्ट है कि सरकारी स्तर पर जहां अधिकारी व कर्मचारी आवेदन करेंगे, उसकी बाकायदा छंटनी होगी। इसके बाद उन्हीं अधिकारी व कर्मचारियों की सेवाएं ली जाएगी, जिनके पद खाली रहने या जनहित में जरुरी है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को फिर से पुन: रोजगार देने का निर्णय लिया है, जिसके लिए वित्त विभाग ने अलग से सेवा शर्तों को निर्धारित किया है। इसके अनुसार क्लास वन से लेकर क्लास फोर तक अधिकारी व कर्मचारियों की सेवाएं लेने का प्रावधान है। नए प्रावधान के अनुसार अब पुन: रोजगार की स्थिति में मूल वेतन का प्रतिमाह 40 फीसदी वेतन तथा विशेष श्रेणी के अधिकारी व कर्मचारियों को सरकार मूल वेतन का प्रतिमाह 50 फीसदी वेतन अदा किया जाएगा। अब सरकारी क्षेत्र में पुन: रोजगार पाने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के पदनाम में बदलाव भी होगा। इसके तहत क्लास फोर कर्मचारियों को मल्टी टॉस्क वर्कर, क्लास थ्री कर्मचारियों को ऑफिस असिस्टैंट, क्लास टू और क्लास वन को वर्क सुपरवाइजर नाम से जाना जाएगा। विशेष श्रेणी के अधिकारियों जिसमें डाक्टर, इंजीनियर और अन्य प्रशासनिक अधिकारी आएंगे उनको बतौर कन्सलटैंट नियुक्ति मिलेगी। नए प्रावधानों में पुन: रोजगार प्राप्त करने वाले किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को डी.ए. का लाभ नहीं मिलेगा तथा उनकी सेवाएं 1 वर्ष तक ही ली जाएगी।