सतीश मेहरा
नीरज और नदीम की जोड़ी भारत-पाक खेल संबंधों में बेहतर कड़ी का काम कर सकती है। दुनिया के दोनों टॉप एथलीटों की माताओं ने तो पूरे विश्व को बता दिया है कि दोनों देशों के राजनीतिक संबंध जैसे भी रहे हों, सामाजिक संबंध अभी 1947 के विभाजन से पहले की तरह बरकरार हैं। पेरिस ओलंपिक में जब जैवलिन थ्रो में पाकिस्तान के अरशद नदीम ने स्वर्ण और भारत के नीरज चोपड़ा ने रजत पदक जीता तो दोनों देशों के लोग खुशी से झूम उठे।
इस ऐतिहासिक जीत पर दोनों की मांओं ने जो कहा उसने न केवल भारत-पाक की जनता बल्कि दुनिया के लोगों का दिल जीत लिया। नीरज की मां सरोज ने कहा, नदीम जिसने स्वर्ण पदक जीता है, वह भी हमारा बच्चा है और नीरज ने रजत जीता, वह भी हमारा बच्चा है। दूसरी ओर नदीम की मां रजिया प्रवीन ने कहा, नीरज भी मेरे बेटे जैसा है। नीरज और नदीम दोनों दोस्त हैं और भाई हैं। जहां मैंने नदीम की जीत के लिए दुआ की, वहीं नीरज की जीत के लिए भी दुआ की थी। अल्लाह दोनों को कामयाबी बख्शे। दोनों एथलीट नीरज और नदीम खेल के मैदान में और खेल के मैदान के बाहर भी दोस्त हैं। खेल के मैदान में वे केवल प्रतिद्वंद्वी होते हैं।
दोनों एथलीट में सात बार एक-दूसरे का मुकाबला हुआ है। इन मुकाबलों में नदीम नीरज से छह बार पीछे रहा और एक बार पेरिस ओलंपिक में आगे रहा, जिसकी बदौलत अरशद नदीम स्वर्ण पदक पाने में कामयाब रहा। पेरिस ओलंपिक में नीरज और नदीम का इतना हेल्दी मुकाबला रहा कि नीरज के रजत जीतने पर भी पाकिस्तान में खुशियां मनाई गईं और नदीम के स्वर्ण पदक जीतने में भी भारत में खुशियां मनाई गईं। इन खुशियों को दोनों मांएं तस्दीक करती हैं। नीरज का यह भी कहना है कि पहले की प्रतियोगिताओं में नदीम ने मेरे भाले का भी प्रयोग किया है। इससे दोनों की दोस्ती बयां होती है।
भारत-पाकिस्तान के खेल संबंधों में राजनीति का गहरा हस्तक्षेप है। जब भी दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ता है, खेल संबंध प्रभावित होते हैं। उदाहरण के तौर पर, 1999 के कारगिल युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध लंबे समय तक स्थगित रहे। इसी तरह, 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक संबंधों में खटास आ गई जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तानी खिलाड़ियों पर आईपीएल में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा। हालांकि, 2008 में आईपीएल के उद्घाटन सत्र में पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ियों ने भाग लिया था लेकिन इसके बाद से उन पर बैन है।
हाल के वर्षों में, दोनों देशों के बीच खेल संबंधों में और भी गिरावट आई है। क्रिकेट, जो कभी दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का माध्यम माना जाता था, अब राजनीतिक निर्णयों और तनाव के कारण बाधित हो रहा है। आईपीएल में भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों के न खेलने का मुद्दा अक्सर उठता रहता है।
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि खेल, विशेषकर क्रिकेट, दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण साधन हो सकता है। अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द्विपक्षीय क्रिकेट टीम के मुकाबले हो रहे हैं। खेल में प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ सम्मान और मित्रता का भी संदेश होता है। अगर दोनों देश खेल संबंधों को मजबूत करते हैं, तो यह दोनों देशों के बीच विश्वास बहाल करने में मदद कर सकता है। राजनीति, सुरक्षा चिंताएं और ऐतिहासिक तनाव हमेशा से इन संबंधों पर भारी पड़े हैं। इसके बावजूद, खेलों ने हमेशा दोनों देशों के लोगों के बीच एकजुटता और साझा प्रेम का एक पुल बनाने का प्रयास किया है। यदि दोनों देश खेल को एक कूटनीतिक साधन के रूप में इस्तेमाल करें, तो शायद दोनों के बीच की दूरियां कुछ हद तक कम हो सकें। इन दूरियों को कम करने में नीरज और नदीम की दोस्ती की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।