दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 16 अगस्त
हरियाणा में विधानसभा चुनावों की घोषणा ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की नायब सरकार को समय पूर्व चुनाव होने का आभास पहले से था। लेकिन इतनी जल्दी चुनावों की घोषणा हो जाएगी, इसकी भनक नहीं थी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लगातार घोषणाएं करने में जुटे थे। पिछले कुछ दिनों में कैबिनेट की मीटिंग थोड़े समय बाद ही हो रही थी। पहले 5 अगस्त को फिर 8 अगस्त को कैबिनेट मीटिंग में कई फैसले हुए। शनिवार को भी कैबिनेट मीटिंग प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि इसमें विधानसभा के सत्र को लेकर निर्णय लिया जा सकता है।
लोकसभा चुनाव के दौरान से ही नायब सरकार तकनीकी रूप से अल्पमत में चल रही है। हालांकि चुनावों की घोषणा के साथ ही सरकार पर बना संकट खत्म हो गया है। विपक्ष द्वारा विधानसभा का सत्र बुलाकर बहुमत साबित करने की मांग की जा रही थी। साथ ही, राज्यपाल को भी ज्ञापन देकर सरकार को बर्खास्त करने की मांग की गई। माना जा रहा है कि सरकार इसलिए विधानसभा के सत्र से बच रही थी ताकि विधानसभा में संभावित हंगामे से बचा जा सके। हालांकि जिस तरह के नियम हैं, उसके हिसाब से सरकार को चुनावों की घोषणा के बाद ही विधानसभा का सत्र बुलाना ही पड़ेगा। सत्र की अवधि बेशक एक ही दिन की हो।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता व विधायी व संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार का कहना है कि चुनावों की घोषणा के बाद भी सरकार को सत्र बुलाना होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मौजूदा यानी 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक है। इससे पहले 13 मार्च को नायब सरकार ने बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया था। इसके हिसाब से 12 सितंबर से पहले सत्र बुलाना अनिवार्य है।
हेमंत कुमार ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 174(1) के अनुपालना में मौजूदा विधानसभा का एक सत्र 13 सितंबर से पहले बुलाया जाएगा, चाहे वह एक दिन का ही क्यों ना हो। हेमंत कुमार ने कहा कि हरियाणा के 58 वर्ष के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि चुनाव आयोग द्वारा अगली विधानसभा चुनाव घोषित होने के बाद प्रदेश की मौजूदा विधानसभा का सत्र बुलाना पड़ेगा। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्यपाल से कुल 5 अध्यादेश (आर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213(1) में प्रख्यापित (जारी) करवाए हैं। नायब सरकार को इन अध्यादेशों को विधानसभा में पारित करवाना होगा।
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भाजपा यह मानकर चल रही थी कि अगस्त के आखिरी सप्ताह या फिर सितंबर के पहले सप्ताह में चुनावों की घोषणा हो सकती है। यहां बता दें कि दैनिक ट्रिब्यून ने 12 सितंबर के अंक में ‘हरियाणा में समय से पूर्व हो सकते हैं विधानसभा चुनाव!’ प्रकाशित खबर में इस बात के पहले ही संकेत दे दिए थे। हालांकि सीएम नायब सिंह सैनी यह कहते आ रहे थे कि चुनाव समय पर ही होंगे।
राजनीतिक दलों को चौंका रहा ऐलान
वहीं दूसरी ओर, विधानसभा चुनाव का ऐलान होने से प्रदेश के सभी राजनीतिक दल सकते में हैं। सत्तारूढ़ भाजपा सहित सभी राजनीतिक दल इस समय धरातल पर चुनावी माहौल तैयार करने में ही जुटे हैं। नायब सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाएं अंतिम चरण में हैं और मुख्यमंत्री द्वारा की गई कई घोषणाएं अभी पूरी नहीं हुई है। राजनीतिक दृष्टिकोण से तैयारियों की अगर बात की जाए तो भाजपा सभी 90 हलकों में चुनावी सर्वे करवा चुकी है।
पार्टी के पर्यवेक्षकों की टीम चुनावी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ग्राउंड पर वेरीफिकेशन भी कर चुकी है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री व गृहमंत्री की रैलियों का कार्यक्रम भी तय किया जा चुका है। भाजपा पिछले करीब एक माह से चुनावी मोड पर काम कर रही है। प्रमुख विपक्षी दल – कांग्रेस द्वारा प्रदेश के सभी 90 विधानसभा हलकों से चुनाव लड़ने के चाहवानों से आवेदन लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कांग्रेस के पास 2556 आवेदन आए हैं। कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा व रणदीप सुरजेवाला द्वारा प्रदेश में रैलियों का आयोजन किया जा रहा है।
कांग्रेस राज्य में राहुल गांधी तथा मल्लिकार्जुन खड़गे की रथ यात्रा के आयोजन का ऐलान कर चुकी है। साढ़े चार साल तक भाजपा के साथ गठबंधन में सत्ता की हिस्सेदार रही जननायक जनता पार्टी लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई लेकिन जजपा नेता दुष्यंत चौटाला विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। दुष्यंत व अन्य जेजेपी नेता इन दिनों संगठन का पुनर्गठन करने में लगे हुए हैं। जेजेपी ने अभी तक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रैलियों का ऐलान नहीं किया है।
हरियाणा में करीब दो दशक से हाशिए पर चल रही इंडियन नेशनल लोकदल हालही में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर चुकी है। इनेलो व बसपा के नेता मिलकर प्रदेश में चुनावी रैलियों का आयोजन कर रहे हैं। इनेलो व बसपा में सीटों का बंटवारा हो चुका है। गठबंधन की तरफ से अभी तक कोई बड़ी रैली का आयोजन नहीं किया गया है। पंजाब के बाद हरियाणा की राजनीति में अपनी जड़े मजबूत करने में जुटी आम आदमी पार्टी पिछले कई दिनों से प्रदेश में हलका स्तर पर रैलियों का आयोजन कर रही है। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के कारण उनकी पत्नी ने हरियाणा में प्रचार का जिम्मा संभाला हुआ है।
अब तक का घटनाक्रम
2014 में पहल बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई भाजपा ने पहली बार ही करनाल से विधायक बने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया। 2019 में भी मनोहर लाल ही भाजपा सरकार के मुखिया बने। 12 मार्च को अचानक उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह नायब सिंह सैनी प्रदेश के नये मुख्यमंत्री बने। मनोहर लाल के इस्तीफे से ही राजनीतिक समीकरण बदलते चलते गए। लोकसभा चुनावों में भी भाजपा का प्रदर्शन उम्मीदों के हिसाब से नहीं रहा। 2019 में सभी दस सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा पांच सीटों पर चुनाव हार गई।
प्रचार के लिए मिलेंगे 44 दिन
चुनाव प्रचार के लिए राजनीतकि दलों को 17 अगस्त से 29 सितंबर तक कुल 44 दिन मिलेंगे। 2019 में 21 सितंबर को चुनाव आचार संहिता लगी थी और 21 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी। पिछले तीन इलेक्शन में 12 सितंबर के बाद चुनाव की घोषणा हुई है। नतीजे 15 अक्तूबर के बाद आते रहे हैं। इस बार चुनाव की घोषणा एक माह पहले हुई है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनावों की घोषणा के साथ हरियाणा के लोगों के खानपान की सराहना की। उन्होंने कहा कि यहां का खानपान काफी हेल्दी है। राज्य में 10 हजार से अधिक मतदाता 100 साल से ऊपर के हैं।
सोसायटी में भी बनेंगे पोलिंग सेंटर
हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में स्लम एरिया व बहुमंजिली इमारतों के एरिया में मल्टी स्टोरी हाउसिंग सोसायटी में पालिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। इनमें गुरुग्राम, फरीदाबाद व सोनीपत की मल्टी स्टोरी हाउसिंग सोसायटी शामिल हैं, जहां पहली बार पोलिंग स्टेशन बनाए जाने वाले हैं। सभी मतदान केंद्रों में सौ प्रतिशत सुविधाएं उपलब्ध होंगी। सभी पोलिंग केंद्रों पर सौ प्रतिशत सीसीटीवी कैमरे लगेंगे।
एक नजर में
कुल मतदाता – 2.01 करोड़
पुरुष मतदाता – 1.06 करोड़
महिला मतदाता – 95 लाख
पहली बार वोट डालेंगे-4.52लाख (18 से 19 साल)
85 साल से अधिक उम्र के मतदाता – 2.55 लाख
दिव्यांग मतदाता – 1.5 लाख
100 साल से अधिक उम्र के मतदाता – 10321
उभयलिंगी मतदाता – 459
सर्विस मतदाता – 1.10 लाख
कुल विधानसभा – 90
सामान्य विधानसभा – 73
आरक्षित विधानसभा – 17