चंडीगढ़, 19 अगस्त (ट्रिन्यू)
Rakshabandhan Muhurta 2024: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व आज यानी 19 अगस्त को है, लेकिन भद्रा काल के कारण सुबह का समय राखी बांधने के लिए उचित नहीं था। शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व सावन मास की शुक्ल पूर्णिमा तिथि को होता है। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि भद्रा क्या होती है और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है।
पूर्णिमा तिथि को भद्रा भी होती है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में सावन मास की पूर्णिमा को रक्षाबंंधन और फाल्गुन मास की पूर्णिमा वाले दिन होलिका का दहन (होली में आग लगाना) नहीं करना चाहिए।
श्री वशिष्ठ पंचांग के अनुसार विष्टि करण का दूसरा नाम भद्रा है। भद्रा के समय कोई भी विवाहादि शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे :-बृहस्पति ने कहा है :- विष्टिस्तु सर्वथा त्याज्या क्रमेणैवागता तु या । अक्रमेणागता भद्रा सर्वकार्येषु शोभना ।।” अर्थात् क्रम से आई हुई जो पूर्वार्ध की भद्रा दिन में और परार्ध की भद्रा सब शुभ कामों में छोड़ने योग्य है तथा बिना क्रम से आई हुई अर्थात् पूर्वार्ध की भद्रा रात को एवं उत्तरार्ध की भद्रा दिन में समस्त कामों में शुभ प्रद होती है।
तिथियों में पूर्वार्ध एवं उत्तरार्ध भद्रा जानना
1) शुक्ल पक्ष की अष्टमी, पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्ध (पहले भाग) में भद्रा होती है और चतुर्थी एवं एकादशी के उत्तरार्ध (पिछले भाग) में भद्रा होती है।
2) कृष्ण पक्ष की तृतीया एवं दशमी तिथि के उत्तरार्ध (पिछले भाग) में और सप्तमी एवं चतुर्दशी तिथि के पूर्वार्ध (पहले भाग) में भद्रा होती है।
नोटः – भद्रा के पुच्छ काल में सभी शुभ – अशुभ काम करने से सिद्ध हो जाते है। ऐसा बृहज्ज्योतिषसार में लिखा है।
भद्राकाल में मुख्य रूप से वर्जित कार्य
भद्रा काल में श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबन्धन और फाल्गुन मास की पूर्णिमा वाले दिन होलिका का दहन (होली में आग लगाना) नहीं करना चाहिए ।
फल :- भद्रा में रक्षा-बन्धन (श्रावणी) करने से राजा अर्थात् राजनेताओं का नाश होता है और होलिका दाह (फाल्गुनी) करने से गाँवों एवं नगरों में आग लगने, मुसीबत आने का भय होता है। ऐसा कहा गया है:- भद्रायां द्वे न कर्तव्ये, श्रावणी फाल्गुनी तथा। श्रावणी नृपतिं हन्ति, ग्रामं दहति फाल्गुनी ।। बृहज्ज्योतिषसार ।।
भद्रा का वास देखना
1.) बृहज्ज्योतिषसार के अनुसार भद्रा काल में कर्क, सिंह, कुम्भ और मीन राशि का चंद्रमा होने से भद्रा का वास मृत्युलोक (भूमि पर) में होता है। फलः- अशुभ है और शुभ कर्मों में त्याज्य है ।
2.) स्वर्ग में भद्राः – भद्रा काल में मेष, वृष, मिथुन और वृश्चिक राशि का चन्द्रमा होने से भद्रा का वास स्वर्ग में होता है। फलः – शुभकार्यों में भद्रा के स्वर्ग लोक में होने से भद्रा का परिहार कहा जाता है, अर्थात् शुभ कर्म किया जा सकता है।
3.) पाताल में भद्रा :- भद्रा काल में कन्या धनु, तुला और मकर राशि का चन्द्रमा होने से भद्रा का वास पाताल में होता है। फलः – भद्रा का पाताल लोक वास होने से शुभ-मंगल कार्यों में भद्रा का परिहार माना जाता है।
नोट :- भूलोक में भद्रा का वास होने पर सभी शुभ मुहूर्तों के लिए भद्रा का काल निषेध होता है ।
आज रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा 18-19 अगस्त की दरमियानी रात्रि 2ः21 बजे शुरू हो चुकी है। भद्रा 19 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगी। यानी इसके बाद राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा। सबसे शुभ मुहूर्त 1 बजकर 43 मिनट से सायं 4 बजकर 20 मिनट तक है।