मनीमाजरा (चंडीगढ़), 19 अगस्त (हप्र)
शहर के सांसद मनीष तिवारी ने सोमवार को पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की और उन्हें चंडीगढ़ कई अहम मुद्दों से अवगत करवाया जो कि 25 सालों से लंबित हैं।
उन्होंने प्रमुख तौर पर पांच मुद्दों को उठाते हुए प्रशासक से इनका समाधान जल्द करवाने का आग्रह किया। तिवारी ने कटारिया को पंजाब का राज्यपाल और चंडीगढ़ का प्रशासक नियुक्त होने पर शुभाकामनाएं भी दीं।
उन्होंने बताया कि शहर में करीब डेढ़ साल से शेयरवाइज प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त पर रोक लगी हुई है। इससे काफी लोग प्रभावित हैं। यूटी प्रशासन के इस आदेश के खिलाफ कई प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन अपने रुख पर अड़ा है।
मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को संसद में उठाया था और केंद्रीय गृहमंत्री से 9 फरवरी 2023 के चंडीगढ़ प्रशासन के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। तिवारी ने प्रशासक को बताया कि आदेश के लागू होने के बाद से शेयर अनुसार खरीदी गई संपत्तियों के मालिकों और प्रॉपर्टी डीलरों के बीच अफरातफरी मची हुई है।
कई प्रॉपर्टी के ट्रांजेक्शन भी रुके हुए हैं। इन्हीं समस्याओं को हल कराने के लिए कई पीड़ित संपत्ति मालिक और डीलर डीसी से सलाहकार तक से मिल चुके हैं लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। उन्होंने सीएचबी के अलॉटियों को नीड बेस्ड चेंजेस की मंजूरी देने का मुद्दा भी उठाया। इससे पहले मनीष तिवारी ने संसद में पूछा था कि पिछले 25 साल से सीएचबी के फ्लैट्स में रहने वाले लोग 1999 के दिल्ली पैटर्न पर नीड बेस्ड चेंज की मंजूरी मांग रहे हैं, उन्हें क्यों नहीं दी जा रही है।
बदलावों को नियमित करने के लिए एकमुश्त माफी योजना लाने को लेकर सीएचबी क्यों आशंकित है, जबकि इससे करीब 68,000 फ्लैट्स प्रभावित हैं। इस पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जवाब दिया था कि सीएचबी ने चंडीगढ़ बिल्डिंग रूल्स-2017 में छूट देते हुए कुछ नीड बेस्ड चेंज की अनुमति दी है। हालांकि, दिल्ली पैटर्न की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि चंडीगढ़ एक योजनाबद्ध शहर है।
पुनर्वास कालोनियों में रहने वालों को मालिकाना हक देने का मुद्दा भी उठाया
मनीष तिवारी ने पुनर्वास कालोनियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने का मुद्दा भी उठाया। इन मकानों में अनेक ऐसे लोग हैं जो असल अलॉटी नहीं है। इनमें से कुछ लोगों के पास पावर ऑफ अटॉर्नी से मकान खरीदे गए हैं। शहर में 30000 से ज्यादा मकान पुनर्वास योजना के तहत पिछले कई वर्षों में लोगों को अलॉट किए गए हैं। प्रशासक की ओर से करवाए गए सर्वे में यह भी पता चला है कि कई लोगों के पास कोई भी दस्तावेज नहीं है। ऐसे में मालिकाना हक मिलना बड़ा मुश्किल होगा। यह लोग पिछले 15 सालों से अपने मालिकाना हक की मांग कर रहे हैं। तिवारी ने प्रशासक के समक्ष लाल डोरा और कोआपरेटिव हाउसिंग सोसाइटियों का मुद्दा भी उठाया।