ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 20 अगस्त
सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की शान सुखना झील के सामने आशियाना बसाने का सपना कितना महंगा हो सकता है, इसका अंदाजा आप एक कोठी की कीमत से लगा सकते हैं। यहां सेक्टर-5 में दस कनाल की एक कोठी का दाम 200 करोड़ रुपये रखा गया है। चौंकाने वाले इस आंकड़े ने शहर की प्रॉपर्टी मार्केट में उत्सुकता जगा दी है। यह कोठी शहर की सबसे महंगी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की सूची में आ गयी है।
इसी तरह, सेक्टर-5 में ही आठ कनाल के एक घर के मालिक ने 185 करोड़ रुपये की मांग की है। हालांकि, एक रियल एस्टेट विशेषज्ञ ने बताया कि कोठी की बाजार कीमत करीब 125 करोड़ रुपये है।
कोठियों के ये प्राइस टैग चर्चा का विषय बन गये हैं। ये शहर के बढ़ते रियल एस्टेट बाजार और हाई-एंड प्रॉपर्टी की बढ़ती मांग को उजागर करते हैं। एक प्रॉपर्टी डीलर ने कहा कि शहर के उत्तर के प्रमुख सेक्टरों में कोठियों की भारी मांग है, जिससे कीमतें आसमान छू रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक, एक कारोबारी ने हाल ही में सेक्टर-9 में करीब 98 करोड़ रुपये में छह कनाल की कोठी खरीदी है। इसी सेक्टर में चार कनाल की कोठियों की कीमत लगभग 60 करोड़ रुपये है। एक संपत्ति सलाहकार ने कहा कि सेक्टर-8, 9 और 11 में एक कनाल कोठी की कीमत लगभग 15 से 16 करोड़ रुपये है, लेकिन इन सेक्टरों में ऐसे कोई घर उपलब्ध ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सेक्टर-10 में उपलब्ध एक कनाल की एकमात्र कोठी के मालिक ने 16.50 करोड़ रुपये से अधिक की मांग की थी, क्योंकि ऐसे घर आसानी से नहीं मिल रहे। उन्होंने कहा कि उत्तरी सेक्टरों में दस मरले के घर की कीमत औसतन लगभग 7 करोड़ रुपये है।
संपत्ति विशेषज्ञों ने कहा कि पड़ोसी शहर पंचकूला में भी प्रॉपर्टी की कीमतों में समान उछाल देखा गया है, लेकिन मोहाली में कीमतें स्थिर हैं। उन्होंने कहा कि निवेशकों ने सोने और शेयर बाजार के बजाय प्रॉपर्टी की बिक्री और खरीद में पैसा लगाना शुरू कर दिया है, जिसके चलते कीमतें बढ़ गई हैं। महंगे सेक्टरों में रुचि रखने वाले अधिकांश खरीदार मुख्य रूप से मुंबई और दिल्ली के निवेशक, एनआरआई, व्यवसायी या ऐसे लोग हैं जिनकी जमीनें सरकार द्वारा अधिगृहीत की गयी हैं।
एक अन्य प्रॉपर्टी डीलर ने कहा कि उत्तरी सेक्टरों में प्रॉपर्टी की कीमतों में वृद्धि का शहर के अन्य सेक्टरों पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग की पहुंच से प्रॉपर्टी बाहर हो रही है, क्योंकि छोटे घरों के मालिक भी ऊंची कीमतें मांग रहे हैं।