चंडीगढ़, 20 अगस्त (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में मंगलवार को विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में राज्यसभा उपचुनाव को लेकर सभी विधायकों को जरूरी दिशा निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री सैनी ने किरण चौधरी को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति द्वारा राज्यसभा उम्मीदवार घोषित करने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। सीएम आवास पर हुई बैठक में विधायकों के साथ मुख्यमंत्री सैनी ने 3 सितंबर को होने वाले राज्यसभा के उपचुनाव को लेकर पूरी रणनीति तैयार की गई। विधायकों के साथ हुई चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री सैनी किरण चौधरी की जीत को लेकर आश्वस्त नजर आए। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव को लेकर भी मंथन हुआ। हरियाणा में 1 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से बारी-बारी उनके विधानसभा क्षेत्रों के बारे में पूरी जानकारी ली। इस दौरान विधायकों ने भी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों का पूरा ब्यौरा सीएम सैनी के सामने रखा। विधानसभा अनुसार हो रही मुख्यमंत्री की नॉन स्टॉप हरियाणा रैलियों को लेकर भी चर्चा हुई। विधायक दल की बैठक में विधायकों ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यों और उपलब्धियों को लेकर जनता में खुशी का माहौल है। जनता फिर से हरियाणा में भाजपा की सरकार बनाने के लिए तत्पर है। नायब सैनी की कार्यशैली और थोड़े से समय में ही की गई घोषणाओं तथा किसानों के हित में लिए गए निर्णयों ने सभी वर्गों का दिल जीता है। सभी नेताओं ने तय किया कि प्रत्येक विधायक अपने-अपने क्षेत्रों जनसंपर्क तेज करेंगे।
सीएम के मीडिया सचिव व चीफ मीडिया काेऑर्डिनेटर ने दिया इस्तीफा
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मीडिया सचिव प्रवीण अत्रे और चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर सुदेश कटारिया ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। प्रवीण अत्रे ने 16 अगस्त को विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सरकार ने दोनों के इस्तीफे मंजूर कर लिए हैं। नियमों के तहत विधानसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने की सूरत में उन सभी नेताओं को अपने पदों से इस्तीफा देना अनिवार्य है, जो राजनीतिक पदों पर नियुक्त हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती, मीडिया एडवाइजर (नई दिल्ली) राजीव जेटली, एडवाइजर (पब्लिसिटी) तरुण भंडारी व गजेंद्र फोगाट के अलावा सभी मीडिया काेऑर्डिनेटर को भी अपने इस्तीफे देने होंगे। यही नहीं, विभिन्न बोर्ड-निगमों में चेयरमैन व दूसरे पदों पर कार्यरत नेताओं को भी अपने पद छोड़ने होंगे। राजनीतिक नियुक्तियों को छोड़ने के बाद ही ये नेता विधानसभा चुनावों में सक्रिय तौर पर काम कर सकेंगे।