डॉ. शशांक द्विवेदी
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में भारत सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है। दुनिया में सबसे ज्यादा युवा भारत में ही रहते हैं। सबसे ज्यादा आबादी वाले चीन से भी 47 प्रतिशत ज्यादा। हमारे देश में इस वक्त 138 करोड़ लोग हैं। इनमें से 25 करोड़ 15 से 25 साल के बीच हैं। यानी, कुल आबादी का 18 प्रतिशत से ज्यादा। वहीं, चीन में सिर्फ 17 करोड़ लोग ऐसे हैं जो यूएन के नॉर्म के मुताबिक युवा हैं। मतलब चीन की कुल आबादी 144 करोड़ के हिसाब से वहां 12 फीसदी लोग ही युवा हैं। अब सवाल यह है कि इतनी बड़ी युवा आबादी का भारत क्या सकारात्मक उपयोग कर पा रहा है? आंकड़ों के मुताबिक साल दर साल बेरोजगारी बढ़ रही है और देश में स्किल्ड युवाओं की भारी संख्या में कमी है।
भारत में नई शिक्षा नीति के माध्यम से ज्ञान को व्यावहारिक बनाने की कवायद चल रही है। नई पहल के तहत अब नान-टेक्निकल पढ़ाई करने वाले छात्रों मसलन बीए, बीकाम, बीएससी करने वालों को अब रोजगार के लिए भटकना नहीं होगा। टेक्निकल स्नातकों की तरह उन्हें भी न्यूनतम धनराशि के साथ अप्रेंटिसशिप का मौका मिलेगा। इसके बाद उन्हें आसानी से रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। हालांकि, इसके लिए उन्हें पढ़ाई पूरी करते ही रोजगार से जुड़े क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके बाद वह अप्रेंटिसशिप या सीधे नौकरी हासिल कर सकेंगे। इस पहल में देश में हर साल उच्च शिक्षा हासिल करके निकलने वाले करीब एक करोड़ छात्रों पर फोकस किया गया है। मौजूदा समय में देश में उच्च शिक्षा से करीब 4.33 करोड़ छात्र जुड़े हैं। शिक्षा मंत्रालय की नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम के तहत स्नातकों को हर माह न्यूनतम नौ हजार और डिप्लोमाधारियों को आठ हजार रुपये मिलेंगे। रोजगार के लिए देश में हर साल उच्च शिक्षा हासिल करके निकले एक करोड़ छात्रों पर इस स्कीम का फोकस है।
इसके तहत शिक्षा मंत्रालय ने कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के साथ ही एक करार किया है। इसके जरिये इन सभी छात्रों को पढ़ाई के बाद रोजगार मुहैया कराने वाले क्षेत्रों की जरूरत को ध्यान में रखकर एक महीने से लेकर छह महीने तक के कोर्स कराए जाएंगे। इसके बाद उन्हें उन क्षेत्रों में रोजगार हासिल करने में सहूलियत होगी। मौजूदा समय में देश में करीब पांच लाख सीएससी हैं। स्नातकों को हर माह न्यूनतम नौ हजार और डिप्लोमाधारियों को आठ हजार रुपये मिलेंगे। इसकी आधी राशि शिक्षा मंत्रालय देगा, बाकी राशि अप्रेंटिसशिप कराने वाली कंपनी देगी। मंत्रालय के मुताबिक इसके तहत इस साल करीब 2.66 लाख छात्रों को अप्रेंटिसशिप कराई जा रही है। इसकी अवधि छह माह से डेढ़ साल तक की है। नान-टेक्निकल क्षेत्र में स्नातक करते ही छात्रों के पास अप्रेंटिसशिप करने के लिए पांच साल का ही मौका रहेगा। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने युवाओं को रोजगार से जोड़ने की इस नई पहल की शुरुआत करने के साथ छात्रों के इस अप्रेंटिसशिप की पहली किस्त भी जारी की है। इसके तहत अगले सौ दिन में 100 करोड़ रुपये देने का भी एेलान किया। उन्होंने कहा, युवाओं के लिए स्किलिंग भी अहम बनाई जाएगी।
ज्ञात हो, नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम के तहत अभी तक सिर्फ टेक्निकल यानी बीई, बीटेक या पालीटेक्निक करने वाले छात्रों को ही अप्रेंटिसशिप मुहैया कराई जाती थी। मंत्रालय के मुताबिक, अप्रेंटिसशिप व इंटर्नशिप में मुख्य अंतर यह है कि अप्रेंटिसशिप उन क्षेत्र में छात्रों के अनुभव में जुड़ती है जबकि इंटर्नशिप अनुभव में नहीं जुड़ती है।
मार्च, 2020 के बाद से दुनिया ने कोरोना के साथ रहना सीख लिया है, लेकिन इस दौरान दुनियाभर में बड़े बदलाव देखने को मिले, जीवन से जुड़े लगभग हर क्षेत्र में शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परिवर्तन हुए। शिक्षा, चिकित्सा और टेक्नोलॉजी को लेकर पूरी दुनिया में कई तरह के बदलाव एक साथ देखने को मिल रहे हैं। भारत में भी युवाओं के लिए शिक्षा के साथ कौशल विकास पर तेजी से काम हो रहा है।
असल में हमने यह बात समझने में बहुत देर कर दी कि अकादमिक शिक्षा की तरह ही बाजार की मांग के मुताबिक उच्च गुणवत्ता वाली स्किल की शिक्षा देनी भी जरूरी है। एशिया की आर्थिक महाशक्ति दक्षिण कोरिया ने स्किल डेवलपमेंट के मामले में चमत्कार कर दिखाया है और उसके चौंधिया देने वाले विकास के पीछे स्किल डेवलपमेंट का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। इस मामले में उसने जर्मनी को भी पीछे छोड़ दिया है। वर्ष 1950 में दक्षिण कोरिया की विकास दर हमसे बेहतर नहीं थी। लेकिन इसके बाद उसने स्किल विकास में निवेश करना शुरू किया। यही वजह है कि 1980 तक वह भारी उद्योगों का हब बन गया। उसके 95 प्रतिशत मजदूर स्किल्ड हैं या वोकेशनली ट्रेंड हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा तीन प्रतिशत है। ऐसी हालत में भारत कैसे आर्थिक महाशक्ति बन सकता है?
स्किल इंडिया बनाने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने अलग मंत्रालय बनाया है। नेशनल स्किल डेवलपमेंट मिशन भी बनाया गया है। केन्द्रीय बजट में भी इसके लिए अनुदान दिया गया है। मतलब पहली बार कोई केंद्र सरकार इसके लिए इतनी संजीदगी से काम करने की कोशिश कर रही है। इसे देखते हुए लगता है कि स्किल डेवलपमेंट को लेकर केंद्र सरकार की सोच और इरादा तो ठीक है लेकिन इसका कितना क्रियान्वयन हो पायेगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा। नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्कीम केंद्र सरकार की अच्छी योजना है। अगर इसका क्रियान्वयन ठीक से किया गया तो इसके अच्छे परिणाम आएंगे।