रेवाड़ी, 20 अगस्त (हप्र)
बावल खंड के झाबुआ वन क्षेत्र में टाइगर दिखाई देने के बाद जहां वन्य प्राणी विभाग की टीम अलर्ट पर हैं, वहीं झाबुआ व आसपास के गांवों के लोगों को भी सावधान कर दिया गया है। टाइगर को लेकर ग्रामीणों में लगातार डर बढ़ता जा रहा है। क्योंकि अभी तक यह वन क्षेत्र के प्राणियों को शिकार बनाकर अपनी भूख शांत कर रहा है। लेकिन डर है कि यहां से निकलने के बाद आदमखोर न बन जाए। इसलिये लोगों ने दिन ढलते ही घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है। गांव झाबुआ बिलकुल राजस्थान सीमा से सटा हुआ है और यहां के घने जंगल (बीहड़) को सरकार ने आरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने के साथ मोर एवं चिंकारा प्रजनन केन्द्र भी स्थापित किया है। झाबुआ के साथ राजस्थान का गांव अलीपुर लगता है। जबकि दूसरी ओर रेवाड़ी जिला के गांव खिजूरी, भादौज आदि सटे हुए हैं। जिस टाइगर की हम चर्चा कर रहे हैं, यह सरिस्का अलवर राजस्थान से 22 जुलाई को भाग निकला था। वन्य प्राणी विभाग द्वारा लगाए गए 10 सीसीटीवी कैमरों में से एक कैमरे में सोमवार की सुबह वह कैद हो गया।
झाबुआ वन क्षेत्र के रक्षक प्रेम कुमार ने कहा कि सोमवार को उसकी मूवमेंट दिखाई देने के बाद अभी तक कोई अन्य मूवमेंट कैमरे में कैद नहीं हुई है।
गांव झाबुआ के सक्रिय कार्यकर्ता एडवोकेट सतेन्द्र झाबुआ ने कहा कि उनके गांव से मात्र 1 किलोमीटर दूर ही बीहड़ (वन क्षेत्र) शुरू हो जाता है। टाइगर की यहां पुष्टि होने के बाद लोगों ने रात को घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है।