दुर्लभ रोग एमपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलता है। संक्रमित व्यक्ति से वायरस दूसरे लोगों में भी ट्रांसमिट होता है। सैकड़ों देशों में इसके केस मिलने के चलते एमपॉक्स को ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित किया है। पाकिस्तान में भी इसका केस मिला है। ऐसे में भारत को चाहिए कि वह एमपॉक्स के खतरे को गंभीरता से ले।
डॉ.माजिद अलीम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने बीते 14 अगस्त को एमपॉक्स को ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित किया है। इस बीमारी का आउटब्रेक तो कांगो व अन्य अफ्रीकी देशों में हुआ था, लेकिन इसके केस यूरोप में स्वीडन और एशिया में पाकिस्तान तक सामने आये हैं। ऐसे में डब्लूएचओ के लिए यह क़दम उठाना आवश्यक हो गया था ताकि सभी देश सतर्क रहें और अपने नागरिकों को एमपॉक्स से सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी बंदोबस्त कर लें। डब्लूएचओ के डायरेक्टर जनरल टीए घेब्रेयसस ने यह घोषणा इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशंस (आईएचआर) की आपात समिति की सलाह पर की है। डब्लूएचओ ने एमपॉक्स आउटब्रेक को ‘तीव्र’ ग्रेड 3 इमरजेंसी माना है। एमपॉक्स के पहले मामले 2022 में सामने आये थे। तब से यह बीमारी फैलती ही रही व अब इसके केस दुनियाभर से रिपोर्ट हो रहे हैं।
जानवरों के जरिये फैलाव
एमपॉक्स या मंकीपॉक्स दुर्लभ जूनोटिक रोग है यानी जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह रोग मंकीपॉक्स वायरस से होता है। इसी फैमिली के वायरस से स्मालपॉक्स, काऊपॉक्स आदि रोग होते हैं। संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक संपर्क में आने पर एमपॉक्स इंसानों में ट्रांसमिट होता है, यह संक्रमित रक्त, फ्लुइड्स या त्वचा या रिसते घावों से सीधे संपर्क से भी ट्रांसमिट हो सकता है। दूषित मटेरियल के संपर्क में आने, संक्रमित पशु के काटने या पंजा मारने या संक्रमित पशुओं का मीट खाने-पकाने से भी एमपॉक्स हो सकता है। एमपॉक्स के दो जेनेटिक ग्रुप्स हैं- क्लेड 1 और क्लेड 2। इस रोग के सही स्रोत की जानकारी अभी तक नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि गिलहरी व बंदर आदि इसके कैरियर हैं।
ये हैं एमपॉक्स के लक्षण
मानवों में एमपॉक्स के लक्षण मुख्यत: लाल चकत्ते की मौजूदगी है जोकि पीपभरी फुंसियों में विकसित हो सकते हैं और उनमें खुजली या दर्द भी हो सकते हैं। अन्य लक्षणों में शामिल हैं बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द और लिम्फ नोड्स में सूजन। जब तक फुंसियां ठीक होकर नई त्वचा को स्थान न दे दें, तब तक संक्रमित व्यक्ति दूसरों को यह रोग पास कर सकता है। संक्रमित होने के एक सप्ताह के भीतर आमतौर से लक्षण दिखायी देने लगते हैं, लेकिन रोग 1 से 21 दिनों में भी शुरू हो सकता है। लक्षण आमतौर से 2-4 सप्ताह रहते हैं। अधिकतर लोगों को कम तीव्र लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ की बीमारी गंभीर हो जाती है। अधिक खतरा बच्चों, महिलाओं व कमज़ोर इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों को है।
उपचार के लिए देखभाल पर जोर
फ़िलहाल एमपॉक्स का कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है। डब्लूएचओ सहायक केयर की सिफारिश करता है, जैसे जिन व्यक्तियों को ज़रूरत है, उन्हें दर्द या बुखार की दवा देना। लेकिन आमतौर से लक्षण अपने आप ही चले जाते हैं। एमपॉक्स से पीड़ित व्यक्तियों को चाहिए कि वह हाइड्रेटेड रहें, ठीक से भोजन करें, पर्याप्त नींद लें, अपनी त्वचा को न खुजाएं, लाल चकत्तों को छूने से पहले व बाद में हाथों को धोएं और अपनी त्वचा को सूखा व खुला रखें। स्मालपॉक्स का उपचार करने के लिए एंटीवायरल (टेकोविरीमैट) विकसित की गई थी। जनवरी 2022 में यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी ने अपवाद हालात में एमपॉक्स का इलाज करने के लिए इसे मंजूरी दी, लेकिन इस प्रकार की दवाओं के साथ अनुभव सीमित ही रहा है। बहरहाल, जिन लोगों को खतरा है उन्हें ही टीकाकरण के लिए ठीक समझा जा रहा है। डब्लूएचओ बड़े पैमाने पर टीकाकरण के पक्ष में नहीं।
116 देश हैं प्रभावित
एमपॉक्स संक्रमण हमारे दरवाज़े तक आ गया है- पाकिस्तान में एमपॉक्स के तीन रोगी मिले हैं। वहीं स्वीडन ने 15 अगस्त को अफ्रीका के बाहर क्लेड 1 वैरिएंट के पहले एमपॉक्स केस की घोषणा की। डब्लूएचओ के अनुसार इस साल एमपॉक्स के 15,600 से अधिक केस और 537 मौतें रिपोर्ट की गई। इसने 116 देशों को प्रभावित किया हुआ है। एमपॉक्स के जो केस गत जून में रिपोर्ट किये, उनमें 19 प्रतिशत अमेरिका से हैं और 11 प्रतिशत यूरोप से। डब्लूएचओ ने इमरजेंसी रिस्पांस फ्रेमवर्क के अनुसार ग्लोबल एमपॉक्स आउटब्रेक को तीव्र ग्रेड 3 इमरजेंसी माना है। पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ़ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी) असाधारण घटना है, जिसका संबंध रोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैलने से है, जिसमें ग्लोबल समन्वय प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है। डब्लूएचओ द्वारा सचेत करने के उच्चतम स्तर पीएचईआईसी का उद्देश्य यह है कि इससे पहले एक बीमारी महामारी का रूप ले ले त्वरित अंतर्राष्ट्रीय एक्शन को कोआर्डिनेट कर लिया जाये। ऐसे में भारत को चाहिए कि वह एमपॉक्स के खतरे को गंभीरता से ले। जन स्वास्थ्य व्यवस्था को हाई अलर्ट पर रखे। निवारक कदम उठाएं जैसे हवाई यात्रियों की स्क्रीनिंग, रोग सर्विलांस और टेस्ट व कांटेक्ट ट्रेसिंग। ऐसी चुनौतियों के लिए अच्छी जन स्वास्थ्य व्यवस्था होना लाज़मी है।
-इ.रि.सें.