हालिया आंकड़ों के अनुसार भारत से वस्तुओं का निर्यात जुलाई 2024 में सालाना आधार पर 1.2 प्रतिशत घटकर 33.98 अरब डॉलर रहा। पिछले साल इसी महीने में निर्यात का मूल्य 34.39 अरब डॉलर था। जहां इस समय भारतीय निर्यातक बांग्लादेश के सियासी हालात को लेकर चिंतित हैं, वहीं वे चीन को किए जा रहे निर्यात में कमी से भी चिंतित हैं। साथ ही निर्यातकों को विदेशी बाजारों में कमजोर मांग और व्यापार में अन्य बाधाओं से जूझना पड़ रहा है। पिछले दिनों भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एग्जिम बैंक) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत के वस्तु निर्यात में वृद्धि जुलाई से सितंबर 2024 की तिमाही में घटकर 4 फीसदी रह सकती है। कहा गया है कि इस समय वैश्विक परिदृश्य विभिन्न आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितताओं से प्रभावित होने के कारण भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
निस्संदेह, इन दिनों बांग्लादेश के राजनीतिक संकट, भयावह होते रूस-युक्रेन युद्ध, इस्राइल-ईरान संघर्ष और अमेरिका व जापान सहित दुनिया के कई देशों में मंदी की लहर के कारण भारत से निर्यात की रफ्तार और भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की चुनौतियां बढ़ गई हैं। एक अगस्त से सरकार ने चीन सहित सीमावर्ती देशों से भारत में विनिर्माण परियोजनाओं से जुड़े टेक्नीशियनों के लिए नई वीजा व्यवस्था लागू कर दी है। वर्ष 2024-25 के आम बजट में भी इस परिप्रेक्ष्य में कारगर रणनीतियां दिखाई दे रही हैं। साथ ही वाणिज्य विभाग निर्यात प्रोत्साहन की दो महत्वपूर्ण योजनाओं को उनकी समाप्ति तिथि से आगे बढ़ने पर जोर दे रहा है।
उल्लेखनीय है कि राजनीतिक अस्थिरता से भारत-बांग्लादेश व्यापार पर नया संकट खड़ा हो गया है। दक्षिण एशिया में बांग्लादेश भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है तथा बांग्लादेश भारत का 8वां सबसे बड़ा निर्यात बाजार भी है। पिछले वर्ष 2023-24 में भारत ने बांग्लादेश को 11 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात किया है।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जून, 2024 की पहली तिमाही में जहां निर्यात धीमी रफ्तार से बढ़े हैं, वहीं आयात की रफ्तार अधिक रहने से विदेश व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है। इन तीन महीनों में कुल निर्यात 200.33 अरब डॉलर मूल्य के रहे हैं, जिसमें वस्तु निर्यात 109.96 अरब डॉलर और सेवा निर्यात 90.37 अरब डॉलर मूल्य के हैं। जबकि कुल आयात 222.90 अरब डॉलर मूल्य के हैं। जिसमें वस्तु आयात 172.23 अरब डॉलर और सेवा आयात 50.67 अरब डॉलर मूल्य के हैं। चूंकि इस वित्त वर्ष में भारत द्वारा कुल निर्यात का लक्ष्य पिछले वर्ष के कुल 776 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात से भी कुछ अधिक 800 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि वैश्विक सुस्ती व बड़े देशों के बीच युद्ध की तनातनी से देश के एफडीआई परिदृश्य पर भी चुनौतियां बढ़ी हैं। भारत में एफडीआई का प्रवाह 2023-24 में 3.49 प्रतिशत घटकर 44.42 अरब डॉलर रह गया। इसका कारण सेवा, कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, ऑटो और फार्मा जैसे क्षेत्रों में निवेश का कम रहना है। 2022-23 के दौरान एफडीआई का प्रवाह 46.03 अरब डॉलर था। पिछले वर्ष कुल एफडीआई जिसमें इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेशित आय और अन्य पूंजी शामिल हैं- एक प्रतिशत घटकर 70.95 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2022-23 में यह 71.35 अरब अमेरिकी डॉलर था।
एक, वर्ष 2024-25 के बजट के तहत निर्यात बढ़ाने और एफडीआई आकर्षित करने के लिए सुनिश्चित किए गए अभूतपूर्व बजट आवंटनों का शुरुआत से ही कारगर उपयोग किया जाए। दो, सेवा निर्यात को हरसंभव तरीके से बढ़ाया जाए और सेवा क्षेत्र में एफडीआई आकर्षित की जाए। तीन, निर्यातकों को शुल्क के अलावा आने वाली बाधाओं (नॉन-टैरिफ बैरियर) से राहत दी जाए तथा एफडीआई की प्रक्रिया को और सरल बनाया जाए तथा चार, नए संभावित निर्यात बाजार तलाशे जाएं और एफडीआई के नए वैश्विक निवेशक खोजे जाएं। इसमें कोई दोमत नहीं है कि एक अगस्त से लागू की गई व्यापार वीजा की नई व्यवस्था निर्यात व निवेश बढ़ाने में लाभप्रद होगी।
वर्ष 2024-25 के बजट में वित्तमंत्री ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर सशक्त बनाया है। साथ ही इस सेक्टर के आयात में कमी के मद्देनजर प्रावधान किए गए हैं। नए बजट से सरकार ने जरूरी इकोसिस्टम को तैयार कर ठंडे पड़े मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जान फूंकने और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम को मजबूती देने के प्रावधान किए हैं। नए बजट में मशीनरी की खरीदारी के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम लांच की गई है। इस स्कीम के तहत सेल्फ फाइनेंसिंग गारंटी फंड बनाया जाएगा जिसके तहत 100 करोड़ रुपए तक के लोन की गारंटी होगी। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में कुछ वस्तुओं पर सीमा शुल्क में छूट दी गई है और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के इस्तेमाल से जुड़े नियम सरल बनाए गए हैं, जो व्यापार नीति के लिहाज से सकारात्मक उपाय हैं।
लेखक अर्थशास्त्री हैं।